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जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज
बलदेव-वासुदेव-प्रतिवासुदेव उसके पश्चात् नौ बलदेव, नौ वासुदेव' और नौ प्रतिवासुदेवों का जन्म हुआ। इस सम्बन्ध का सबसे प्राचीन उल्लेख आवश्यकभाष्य में उपलब्ध होता है। बलदेव ( अथवा बलभद्र ) और वासुदेव ( अथवा केशव ) हमेशा भाई के रूप में उत्पन्न होते हैं, तथा वासुदेव प्रतिवासुदेवों के प्रतिस्पर्धी होते हैं। उदाहरण के लिए, राम और लक्ष्मण दोनों भाई थे, राम ने बलदेव के रूप में और लक्ष्मण ने वासुदेव के रूप में जन्म लिया । लक्ष्मण के हाथों प्रतिवासुदेव रावण की मृत्यु हुई । इसी प्रकार राम (बलदेव) और कृष्ण ( वासुदेव ) क्रमशः अन्तिम बलदेव और वासुदेव के रूप में जन्मे, और कृष्ण ने अन्तिम प्रतिवासुदेव कंस को मारकर इस पृथ्वी का उद्धार किया ।
कृष्ण वासुदेव कृष्ण ने यदुकुल में जन्म धारण किया था। यदु के नाम से यादववंश को स्थापना हुई । यदु के सूर नाम का एक पुत्र था। उसके दो सन्तानें थीं-सोरी और वीर । सोरी ने सोरियपुर (सर्यपुर अथवा सूरजपुर, आगरा जिले में बटेसर के पास यमुना नदी के किनारे)
और वीर ने सोवीर (सिंध ) की स्थापना को । सोरी के दो सन्तान हुई-अंधकवृष्णि और भोजवृष्णि । अंधकवृष्णि पहले सोरिय
१. उनके नाम हैं-अयल, विजय, भद्द, सुप्पभ, सुदंसण, आनंद, नंदन, पउम, राम ।
२. उनके नाम हैं-तिविठ्ठ, दिविठ्ठ, संयभू , पुरिसुत्तम, पुरिससीह, पुरिसपुंडरीय, दत्त, नारायण और कृष्ण ।
३. उनके नाम हैं-अश्वग्रीव, तारक, मेरक, मधुकैटभ, निसुंभ, बलि, प्रह्लाद, रावण, जरासंध ।
४. ४१ इत्यादि।
५. देखिए वासुदेवहिंडी, पृ० २४०-४५; उत्तराध्ययनटीका १८, पृ० २५५-अ।
६. देखिए वसुदेवहिंडी; उत्तराध्ययनसूत्र २२ ।
७. ब्राह्मण परम्परा में अंधक और वृष्णि को परस्पर भाई बताया गया है। देखिए वेदिक इण्डैक्स २, पृ० २८६ आदि; रायचौधुरी, पोलिटिकल हिस्ट्री आव ऐशियेंट इंडिया पृ० ११८ । तथा बौद्ध परम्परा के लिए देखिये!