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परिशिष्ट २ सनत्कुमार चौथे चक्रवर्ती हो गये हैं। वे अश्वसेन और सहदेवी के पुत्र थे । कुरुवंश में वे पैदा हुए थे और हस्तिनापुर में राज्य करते थे। सम्मेदशिखर पर उन्होंने मुक्ति पायी।
सुभौम आठवें चक्रवर्ती थे । कार्तवीर्य के वे पुत्र थे। कार्तवीर्य को हस्तिनापुर के राजा अनतवीर्य का पुत्र बताया गया है । रेणुका ( जमदग्नि की पत्नी) को बहन राजा अनंतवोर्य की रानी थी। एक बार जमदग्नि ने रेणुका को ब्रह्मचरु और उसकी बहन को क्षत्रियचरु खाने के लिए दिया, लेकिन रेणुका ने उसे अपनी बहन से बदल लिया। कालक्रम से रेणुका ने राम और उसकी बहन ने कार्तवीर्य को जन्म दिया। आगे चलकर राम ने अनंतवीर्य की हत्या कर दी और कार्तवीर्य का राज्याभिषेक किया गया। राम के ही हाथों कार्तवीर्य की मृत्यु हुई और उसकी मृत्यु के पश्चात् उसकी पत्नी तारा के गर्भ से सुभौम का जन्म हुआ। आगे चलकर सुभौम ने राम से बदला लेने के लिए उसकी हत्या कर दो, और इस पृथ्वी को इक्कोस बार व्राह्मणों से होन करने के बाद उसे शान्ति मिली।
ब्रह्मदत्त अन्तिम चक्रवर्ती हो गये हैं। वे कांपिल्यपुर के ब्रह्म और चुलनी की सन्तान थे। चुलनी को कोशल के राजा दीघ, काशी के राजा कडय, गजपुर के राजा कणेरुदत्त और चम्पा के राजा पुष्पचूल से मित्रता थी । ब्रह्म की मृत्यु के बाद राजा दीर्घ कांपिल्यपुर के राज्य की देखभाल करने लगा | अन्त में ब्रह्मदत और राजा दीर्घ में युद्ध ठन गया जिसमें दीघ को प्राणों से हाथ धोना पड़ा।
बाको के चक्रवर्तियों ने हस्तिनापुर, कांपिल्यपुर, राजगृह और श्रावस्ती में जन्म लिया, तथा एकाध को छोड़कर प्रायः सभी ने सम्मेदशिखर से निर्वाण प्राप्त किया।'
१. महाभारत ३.१८८.२४; १.६९.२४ में सनत्कुमार का उल्लेख है; तथा देखिए दीघनिकाय २.५, पृ० १५७ आदि ।
२. आवश्यकचूर्णी, पृ० ५२०; वसुदेवहिंडी पृ० २३५-४० । तथा देखिए महाभारत ३.११७ आदि; १२.४८; रामायण १.७४-७ ।
३. उत्तराध्ययनटीका १३, पृ० १८७-अ आदि । ब्रह्मदत्त के लिए देखिए महाउमग्ग जातक; स्वप्नवासवदत्ता; रामायण १.३३.१८ आदि । .
४. देखिए उत्तराध्ययनटीका १३, पृ० १८७ आदि; २३६-अ-२४९; वसुदेवहिंडी पृ० १२८-३१; २३३-४०; ३४०-४३, ३४६-४८ ।