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________________ परिशिष्ट २ आगम-साहित्य में उल्लिखित राजा-महाराजा जैन आगमों की अनुश्रुतियाँ दुर्भाग्य से जैन आगम-साहित्य में उल्लिखित अनुश्रुतियाँ और परम्पराएँ, हमारे इतिहास पर विशेष प्रकाश नहीं डालती, अतएव उन्हें प्रामाणिकता की कोटि में नहीं रक्खा जा सकता। कितनी हो पौराणिक परम्पराएँ यहाँ अनियमित तथ्यों के साथ जहां-तहां गुंथी हुई पाई जाती हैं जिन्हें कि जैन श्रमण अपने सिद्धान्तों का प्रतिपादन करने और व्याख्यानों को रोचक बनाने के लिए उपयोग में लाया करते थे। बौद्धों की भांति हम यहां भी कितने ही राजा-महाराजा और सम्राटों का दर्शन करते हैं जो श्रमण-दीक्षा स्वीकार कर, कठोर तपश्चर्या करने के पश्चात् , किसी पर्वत से निर्वाण पद प्राप्त करते हैं । बौद्धों के राजा ब्रह्मदत्त की भांति यहां राजा जितशत्रु के नाम के साथ अनेक पौराणिक कथा-कहानियाँ जोड़ो गयो हैं। राजाओं की ऐतिहासिकता प्राचीन जैन साहित्य में महावीर के समसामयिक अनेक राजाओं का उल्लेख मिलता है, लेकिन दो-चार को छोड़कर बाकी के सम्बन्ध में कुछ भी पता नहीं लगता। और तो क्या, काशी और कोशल के गणराजाओं के प्रमुख शक्तिशाली चेटक जैसे राजा का इतिहास में कहीं नाम तक नहीं। इसी प्रकार चम्पा के राजा दधिवाहन, दशाण के राजा दशार्णभद्र आर वीतिभय के राजा उदायन (बौद्धों का रुद्रायन ) जैसे राजाओं के सम्बन्ध में भी कुछ ज्ञात नहीं होता । राजा उदायन का उल्लेख महावीर द्वारा दीक्षित आठ राजाओं के साथ आता है, लेकिन उनके सम्बन्ध में भी इतिहास मौन है। धार्मिक कट्टरता का अभाव राजा-महाराजाओं के सम्बन्ध में दूसरी बात ध्यान देने योग्य यह है कि अधिकांश प्रमुख शासकों को, जैसे बौद्धों ने अपने धर्म का १. अन्य राजाओं में एणेयक, वीरंगय, वीरयस, सञ्जय, सेय, सिष और संख का उल्लेख है, स्थानांग ८.६२१ ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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