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जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज
जिलों में उसका प्रचार हुआ। फिर वह पश्चिमी बंगाल और उड़ीसा में फैला । तत्पश्चात् सौराष्ट्र होता हुआ राजस्थान ( राजस्थान और गुजरात उस समय अलग नहीं थे) के भागों में फैल गया। फिर मध्यप्रदेश होता हुआ विदर्भ और महाराष्ट्र में होकर आंध्र, कुर्ग आदि दक्षिण के देशों में फैलता गया ।
१. विविधतीर्थकल्प के आपापाबृहत्कल्प में महावीर के निम्नलिखित ४२ चातुर्मासों का उल्लेख है
१ अस्थिग्राम, ३ चम्पा और पृष्ठचम्पा, १२ वैशाली और वाणियगाम, १४ नालंदा और राजगृह, ६ मिथिला, २ भद्दिया, १ आलभिया, १ पणियभूमि, ९ श्रावस्ति, १ मध्यमपावा ( अन्तिम ) ।