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________________ ४८२ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज २०–सिन्धु-सौवीर जनपद में सिन्धु और सौवीर दोनों शामिल थे। अभयदेव के अनुसार सौवीर (सिन्ध ) सिन्धु नदी के पास होने के कारण सिन्धु-सौवीर कहा जाता था। लेकिन बौद्ध ग्रन्थों में सिन्धु और सौवीर को अलग-अलग मानकर, रोरुक को सौवीर की राजधानी कहा है । सिन्धु देश में बाढ़ बहुत आती थी, तथा यह देश चरिका, परिव्राजिका, कार्याटिका, तच्चन्निका ( बौद्ध भिक्षुणो) और भागवी आदि अनेक पाखण्डी श्रमणियों का स्थान था, अतएव जैन साधुओं को इस देश में गमन करने का निषेध है। यदि किसी अपरिहार्य कारण से वहां जाना हो पड़े तो शीघ्र ही लौट आने का विधान किया गया है। भोजन-पान को शुद्धता भी इस देश में नहीं थी; मांस-भक्षण का यहाँ रिवाज था । यहाँ के निवासी मद्यपान करते थे और मद्यपान के पात्र से ही पानी पी लिया करते थे। भिक्षा प्राप्त करने के लिए यहाँ स्वच्छ वस्त्रों की आवश्यकता होती थी। दिगम्बर परम्परा के अनुसार, रामिल्ल, स्थूलभद्र और भद्राचार्य ने उज्जयिना में दुष्काल पड़ने पर सिन्धु देश में विहार किया था । वीतिभयपट्टन सिन्धु-सौवीर को राजधानी थी। इसका दूसरा नाम कुम्भारप्रक्षेप (कुभारपक्खेव) बताया गया है। यह नगर सिणवल्लि में अवस्थित था । सिणवल्लि एक विकट रेगिस्तान था जहाँ व्यापारियों को क्षुधा और तृषा से पीड़ित हो अपने जीवन से हाथ धोना पड़ता था। क्या पाकिस्तान में मुजफ्फरगढ़ जिले के अन्तर्गत सनावन या सिनावत स्थान सिणवल्लि हो सकता है ? वीतिभय की पहचान पाकिस्तान में शाहपुर जिले के अन्तर्गत भेरा नामक स्थान से की जा सकती है। इसका पुराना नाम भद्रवती था । विज्झि नामक गांव के समीप यहां बहुत से खण्डहर पाये गये हैं। १. व्याख्याप्रज्ञप्ति १३.६, पृ० ६२० । २. बृहत्कल्पभाष्य १.२८८१; ४.५४४१ आदि । ३. वही १.१२३९ । ४. निशीथचूर्णी १५.५०६४ की चूर्णी । ५. आवश्यकचूर्णी २, पृ० ३७ । ६. वही पृ० ३४,५५३ । ७. निशीथचूर्णी में वीतिभय और उज्जैनी के बीच ८० योजन का अन्तर बताया गया है, जो विचारणीय है।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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