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परिशिष्ट १
४७९ शिलालेखों में विदिशा का उल्लेख मिलता है। विदिशा और मथुरा के वस्त्र बहुत अच्छे होते थे। विदिशा का उल्लेख सिंधु देश के साथ किया गया है जहां प्रज्ञप्ति का पढ़ना निषिद्ध बताया है। यह नगरी वेत्रवती (बेतवा ) नदी के किनारे अवस्थित थी। ___ दशार्णपुर दशार्ण जनपद का दूसरा प्रसिद्ध नगर था। जैनसूत्रों में इसका दूसरा नाम एडकाक्षपुर बताया है। बौद्ध ग्रन्थों में इसे एरकच्छ नाम से उल्लिखित किया है। यह नगर बेतवा नदी के किनारे बसा था और व्यापार का प्रमुख केन्द्र था। आर्य महागिरि ने यहां वैदिश से विहार किया था, और वे गजाग्रपदगिरि ( इसका नाम इन्द्रपद पर्वत भी था ) पर्वत पर तप करने चले गये थे। इसको पहचान झांसो जिले के एरछ नामक स्थान से की जा सकती है।
दशाणपुर के उत्तर-पूर्व में दशाणकूट नाम का पर्वत था। इसका दूसरा नाम गजाग्रपदगिरि अथवा इन्द्रपद भी था। यह पर्वत चारों
ओर से गांवों से घिरा हुआ था। आवश्यकचूर्णी में इस पर्वत का वर्णन किया गया है । कहा जाता है कि भगवान महावीर ने यहां राजा दशार्णभद्र को दीक्षा दी थी।
दशार्ण जनपद का दूसरा महत्वपूर्ण नगर दशपुर ( मंदसौर ) था। आर्यरक्षित की यह जन्मभूमि थी। यहां से विद्याध्ययन करने वे पाटलिपुत्र गये थे।११ औषध आदि प्राप्त करने के लिये उन्हें दूर के नगरों में कीचड़ में होकर जाना होता था।२२ जैन श्रमणों की प्रवृत्तियों का यह केन्द्र था ।
१. आवश्यकटीका ( हरिभद्र), पृ० ३०७ । २. सूत्रकृतांगचूर्णी, पृ० २० । ३. आवश्यकचूर्णी २, पृ० १५६ आदि । ४. पेतवत्थु २. ७, पृ० १६ ।। ५. आचारांगचूर्णी, पृ० २२६ ; देखिये गच्छाचार, पृ० ८१ आदि । ६. निशीथभाष्य १०.३१६३ । . ७. आवश्यकनियुक्ति १२७८; आवश्यकटीका, पृ० ४६८ । ८. आवश्यकचूर्णी, पृ० ४७६; आवश्यकटीका, पृ० ४६८ । ९. बृहत्कल्पभाष्य ३.४८४१ ।। १०. दशपुर नाम के लिए देखिए आवश्यकचूर्णी, पृ० ४०१ आदि। ११. वही, पृ० ४०२। १२. निशीथचूर्णी १४.४५३६ ।