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________________ ४७६ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज [परिशिष्ट १ हैं कि हस्तिनापुर के गंगा से नष्ट-भ्रष्ट हो जाने पर राजा परीक्षित के उत्तराधिकारियों ने कौशाम्बी को राजधानी बनाया। यहां कुक्कुटाराम, घोषिताराम, अंबवन आदि उद्यानों का उल्लेख बौद्धसूत्रों में आता है। भगवान् बुद्ध यहीं ठहरा करते थे। भगवान महावीर ने यहां विहार किया था । राजा शतानीक कौशाम्बी का शासक था। एक बार राजा प्रद्योत ने कौशाम्बी पर आक्रमण कर दिया । उस समय शतानीक अतिसार से पोड़ित होकर मर गया तथा रानी मृगावती ने अपने पुत्र उदयन को राजगद्दी पर बैठाकर स्वयं दीक्षा ग्रहण की। ___ कौशाम्बी जैनों का अतिशय क्षेत्र माना जाता है। यहां महावीर की प्रथम शिष्या चंदनबाला और रानी मृगावती दीक्षित हुई थीं। कोसंबिया जैन श्रमणों की शाखा मानो गयी है। ___ कौशाम्बी के पास प्रयाग ( इलाहाबाद ) था । जैन ग्रंथों में प्रयाग को तीर्थक्षेत्र माना है। प्रयाग को दितिप्रयाग भी कहा है। पालि साहित्य में पयागपतिद्वान के रूप में इसका उल्लेख आता है। सुप्रतिष्ठानपुर, प्रतिष्ठानपुर या पोतनपुर (झूसी के आसपास का प्रदेश) इसकी राजधानी थी। बादशाह अकबर के समय से प्रयाग का नाम इलाहाबाद रक्खा गया। १४-शांडिल्य (संडिब्भ अथवा सांडिल्य) की राजधानी का नाम नन्दिपुर था । अर्वाचीन जैनग्रंथों में सन्दर्भ देश के अन्तर्गत नंदिपुर के राजा का नाम पद्मानन बताया गया है। क्या उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले का संडीला शांडिल्य हो सकता है ? फैजाबाद जिले में ऋषि शांडिल्य के सांडिल्य आश्रम का उल्लेख मिलता है। १५-मलय जनपद पटना के दक्षिण में और गया के दक्षिणपश्चिम में अवस्थित था । सुन्दर वस्त्रों के लिए यह विख्यात था। १. आवश्यकटीका (मलयगिरि), पृ० १०२। २. कल्पसूत्र ८, पृ० २२९-अ । ३. आवश्यकचूणी २, पृ० १७९ । ४. वसुदेवहिण्डी पृ० १६३; तथा देखिए रविषेण, पद्मपुराण, ३.२८१; करकंडुचरिउ ६.६.५; तथा महाभारत ३.८३.७९ । ५. टौनी, कथाकोष, पृ० १२४ । ६. नन्दलाल डे, ज्योग्रेफिकल डिक्शनरी, पृ० १७६ । ७. अनुयोगद्वारसूत्र ३७, पृ० ३०; निशीथसूत्र ७.१२ की चूर्णी । .
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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