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परिशिष्ट १
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वैशालीय कहे जाते थे | जैनसूत्रों में वैशाली का राजा चेटक एक अत्यन्त प्रभावशाली राजा माना गया है । गणराजाओं का वह मुखिया था, और अपनी सात कन्याओं का विभिन्न राजघरानों में उसने विवाह किया था । चेटक की बहन त्रिशला महावीर की माता थी । राजा कूणिक और चेटक में महासंग्राम होने का उल्लेख जैन आगमों में आता है । इस संग्राम में चेटक पराजित होकर नेपाल चला गया, और कूणिक ने वैशाली में गधों का हल चलाकर उसे खेत कर डाला । वैशाली मध्यदेश का सुन्दर नगर माना जाता था । यह नगरी अनेक उद्यान, आराम, बावड़ी, तालाब और पोखरणियों से शोभित थी । अंबापाली गणिका यहां की परम शोभा मानी जाती थी । हुएनसांग के समय यह नगरी उजाड़ हो चुकी थी ।
कुंडपुर ( बसुकुण्ड ) वैशाली का उपनगर था । यह क्षत्रियकुंडग्राम और ब्राह्मणकुंडग्राम नामक दो मोहल्लों में बंटा था । पहले में क्षत्रिय और दूसरे में ब्राह्मण रहा करते थे । कुंडपुर को महावीर की जन्मभूमि माना गया है। कुंडपुर में ज्ञातृखण्ड ( नायसंड ) नाम का एक सुन्दर उद्यान था जहां महावीर ने दोक्षा ग्रहण की थी। इस उद्यान की गणना ऊर्जयन्त ( गिरनार ) और सिद्धशिला नामक तीर्थों के साथ की गयी है ।
वाणियगाम ( बनिया ) वैशालो का दूसरा महत्वपूर्ण स्थान था । वैशाली और वाणियगाम के बीच गंडक नदी बहती थी। यहां आनन्द आदि अनेक जैन श्रमणोपासक रहते थे । ४
१३ - वत्स (प्रयाग के आसपास का प्रदेश ) काशी से सटा हुआ जनपद था | बौद्ध सूत्रों में इसे वंश कहा गया है । वत्साधिपति उदयन का उल्लेख ब्राह्मण, बौद्ध और जैन ग्रंथों में मिलता है । आर्य आषाढ़ अपने शिष्यों के साथ यहां रहते थे । "
कौशाम्बी (कोसम, जिला इलाहाबाद ) वत्स की राजधानी थी । इस नगरी का उल्लेख महाभारत और रामायण में आता है । कहते
१. आवश्यकचूर्णी २, पृ० १६४ आदि ।
२. महावग्ग ६.१७.२९, पृ० २४६ ।
३. व्याख्याप्रज्ञप्ति ९.३३; आवश्यकचूर्णी पृ० २४३; आवश्यक नियुक्ति
३८४ ।
४. उपासकदशा १; तथा व्याख्याप्रज्ञप्ति ११.११; १८.१० । ५. उत्तराध्ययनचूर्णी २, पृ० ८७ ।