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४७४ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज परिशिष्ट १ वज्जियों के आठ कुलों का उल्लेख है, उनमें वैशाली के लिच्छवि और मिथिला के विदेह मुख्य थे। कल्पसूत्र में वजनागरी (वृजिनगर की) नामक जैन श्रमणों की शाखा का उल्लेख आता है। विदेहनिवासी होने के कारण महावीर की माता त्रिशला विदेहदत्ता', तथा विदेहवासी चेलना का पुत्र कूणिक वजिविदेहपुत्र कहा जाता था । विदेह व्यापार का प्रमुख केन्द्र था।
मिथिला ( जनकपुर ) विदेह की राजधानी थी । रामायण में मिथिला को जनकपुरी कहा गया है। महावीर ने यहां अनेक बार विहार किया था; उन्होंने यहां छह वर्षावास व्यतीत किये। मैथिलिया जैन श्रमणों की शाखा थी। आय महागिरि का यहां विहार हुआ था ।' अकपित गणधर को यह जन्मभूमि थी।जिनप्रभसूरि के समय मिथिला जगइ नाम से प्रसिद्ध थी। उस समय यहां अनेक कदलीवन, मीठे पानी को बावड़ियां, कुएं, तालाब और नदियां मौजूद थीं। नगरी के चार द्वारों पर चार बड़े बाजार थे। यहां के साधारण लोग भी पढ़ेलिखे और शास्त्रों के पंडित होते थे।"
किसी समय मिथिला प्राचीन सभ्यता और विद्या का केन्द्र था । ईसवी सन् की हवीं सदी में यहां प्रसिद्ध विद्वान् मंडनमिश्र निवास करते थे, जिनकी पत्नी ने शंकराचार्य से शास्त्रार्थ कर उन्हें पराजित किया था। प्रसिद्ध नैयायिक वाचस्पति मिश्र की यह जन्मभूमि थी, तथा मैथिल कवि विद्यापति यहां के राज-दरबार में रहा करते थे। __वैशीली ( बसाढ़, जिला मुजफ्फरपुर ) विदेह की दूसरी महत्वपूर्ण राजधानी थी। यह प्राचीन वज्जी गणतंत्र की मुख्य नगरी थी और यहां के लोग लिच्छवि कहलाते थे । ये लोग आपस में एकत्रित होकर राजशासन संबंधी विषयों की चर्चा किया करते थे । लिच्छवियों की एकता को बुद्ध भगवान ने प्रशंसा की थी। महावीर ने यहां बारह चातुर्मास व्यतीत किये थे । यह नगरी महावीर की जन्मभूमि थी इसलिए वे
१. कल्पसूत्र ५.१०९। २. व्याख्याप्रज्ञप्ति ७.९, पृ० ३१५ । . ३. कल्पसूत्र ५.१२३ ।
४. आवश्यकनियुक्तिभाष्य १३२, पृ. १४३-अ; उत्तराध्ययनटीका ३, पृ० ७१।
५ विविधतीर्थकल्प, पृ० ३२ । ६. कल्पसूत्र ५.१२३ ।