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जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज [परिशिष्ट १ मथुरा का राज्य सौंपकर, कुशात में जाकर शौरिपुर नगर बसाया' । यह जनपद पश्चिमी तट के कुशात से भिन्न है।
शौरिपुर ( सूर्यपुर अथवा सूरजपुर ) कुशात की राजधानी थी। जैन आगमों के अनुसार कृष्णवासुदेव और उनके ममेरे भाई नेमिनाथ की यह जन्मभूमि थी। यह नगर यमुना के तट पर .अवस्थित था । श्वेताम्बर आचार्य होरविजय सूरि के आगमन के समय इस तीर्थ का जीर्णोद्धार किया गया था । प्राचीन तीर्थमाला के अनुसार, आगरा जिले के शकुराबाद स्टेशन से यहां पहुंचते हैं और यह स्थान बटेसर के पास यमुना के दाहिने तट पर अवस्थित है।
९-पांचाल ( रुहेलखण्ड ) प्राचीन काल में एक समृद्धिशाली जनपद था । महाभारत में पांचाल का अनेक स्थानों पर उल्लेख आता है। पांचाल में जन्म लेने के कारण द्रौपदी पांचालो कही जाती थी। बदायूं , फर्रुखाबाद और उसके इर्द-गिर्द के प्रदेश को पांचाल माना जाता है।
गंगा नदी के कारण पांचाल दो भागों में विभक्त था, एक दक्षिण पांचाल, दसरा उत्तर पांचाल । महाभारत में दक्षिण पांचाल की राजधानो कांपिल्य और उत्तर पांचाल की राजधानी अहिच्छत्रा बतायो गयी है। __कांपिल्यपुर अथवा कांपिल्यनगर (कंपिल, जिला फर्रुखाबाद ) गंगा के तट पर अवस्थित था" | बड़ी धूमधाम से यहां द्रपद-कन्या का स्वयंवर रचा गया था। इन्द्र महोत्सव यहां बड़े ठाट से मनाया जाता था।
माकंदी दक्षिण पांचाल की दूसरी राजधानी बतायी गयी है। व्यापार का यह केन्द्र था। हरिभद्रसूरि ने समराइच्चकहा में इस नगरी का वर्णन किया है।
कान्यकुब्ज (कन्नौज ) दक्षिण पांचाल में पूर्व की ओर अवस्थित
१. कल्पसूत्रटीका ६, पृ० १७१ । २. उत्तराध्ययन २२ । ३. विपाकसूत्र ८, पृ० ४५ आदि । ४. भाग १, भूमिका, पृ० ३८; गजेटियर ऑव आगरा, पृ० १३७, २३६, ५. औपपातिकसूत्र ३९ । ६. अध्याय ६।