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परिशिष्ट १
४६९ कहने लगे। यहां के लोग सोवोर ( मदिरा) और कूट (चावल) के बहुत शौकीन थे। कोशल के राजा प्रसेनजित् का उल्लेख बौद्ध सूत्रों में मिलता है। ___ साकेत ( अयोध्या) दक्षिण कोशल को राजधानी थी। हिन्दू पुराणों में इसे मध्यप्रदेश की राजधानी कहा है। रामचन्द्रजी की यह जन्मभूमि थी। रामायण में अयोध्या का वर्णन करते हुए लिखा है-. "सरयू नदी के किनारे पर अवस्थित यह नगरी धन-धान्य से पूर्ण था, सुन्दर यहां के मार्ग थे, अनेक शिल्पो और देश-विदेशों के व्यापारी यहां बसते थे । यहाँ के लोग समृद्धिशाली, धर्मात्मा, पराक्रमो और दोर्घायु थे तथा उनके अनेक पुत्र-पौत्र थे।"
- जैन परम्परा के अनुसार अयोध्या को आदि तीर्थ और आदि नगर माना गया है, और यहां की प्रजा को सभ्य और सुसंस्कृत बताया है । महावीर और बुद्ध के समय अयोध्या को साकेत कहा जाता था। साकेत के सुभूमिभाग उद्यान में विहार करते हुए महावीर ने जैन श्रमणों के विहार की सोमा नियत की थी, इसका उल्लेख किया जा चुका है। ___ अयोध्या को कोशला, विनीता, इक्ष्वाकुभूमि, रामपुरी और विशाखा नामों से उल्लिखित किया गया है । जिनप्रभसूरि ने घग्घर (घाघरा) और सरयू के संगम पर 'स्वर्गद्वार' होने का उल्लेख किया है।
७-कुरु ( थानेश्वर ) का उल्लेख महाभारत में आता है। यहाँ के लोग बहुत बुद्धिमान और स्वस्थ माने जाते थे।
गजपुर ( हस्तिनापुर ) कुरु को राजधानी थी । जातकों में इन्द्रप्रस्थ (दिल्ली) को यहां की राजधानो कहा है। गजपुर का दूसरा नाम नागपुर था| वसुदेवहिण्डो में इसे ब्रह्मस्थल कहा गया है। यह स्थान अनेक जैन तीर्थकर, चक्रवर्ती और पांडवों को जन्मभूमि माना गया है, तथा अतिशय क्षेत्रों में इसको गणना की गयी है। ___ श्रावस्ति को भांति यह नगर भी आजकल उजाड़ पड़ा है । नशियों पर तीर्थंकरों की चरण पादुकाएँ बनी हैं।
८-कुशात शूरसेन ( मथुरा) के उत्तर में बसा हुआ था। जैन ग्रन्थों में उल्लेख है कि राजा शौरि ने अपने लघु भ्राता सुवीर को .. १. आवश्यकटीका ( मलयागिरि ), पृ० २१४ ।
२. पिंडनियुक्ति ६१९ । ३. पृ० १६५ ।