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________________ ३८२ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज [पांचवां खण्डराजनीतिक संघर्ष चला करते थे, जिनका अन्त निरंकुशता और अव्य वस्था में होता था । एक वर्ग दूसरे वग का शोषण करता था, फौजदारी के कानून अत्यन्त निष्ठुर थे और सूदखोरो का व्यापार चला करता था । ऐसी दशा में पुष्ट को हुई अपनी इच्छाओं को पूर्ति से निराश होकर, संसार के वंचनापूर्ण सुखों और पापाचारों से दूर भागकर, मुमुक्षुगण मन की शान्ति प्राप्त करने के लिए, जंगल के किसी निर्जन कोने को शरण ग्रहण करते थे। कापिलीय अध्ययन में प्रश्न किया गया है "अध्रुव, अशाश्वत और दुःखों से परिपूर्ण इस संसार में कौन-सा कर्म करूं जिससे दुर्गति को प्राप्त न होऊं?" उत्तर में कहा गया है "पूर्व-परिचित संयोगों का परित्याग करके, जो कहीं किसी वस्तु में स्नेह नहीं करता, स्नेह करने वालों के प्रति भी जो स्नेह नहीं दिखाता वह भिक्षु दोषों और प्रदोषों से मुक्त होता है।" निवृत्तिप्रधान श्रमणों के धर्म की यही कुंजी है। वैराग्य के कारण वैराग्य के अनेक कारण बताये गये हैं। स्थानांगसूत्र में दस प्रकार की प्रव्रज्या बताई है-(१) अपनी इच्छानुसार धारण को हुई प्रव्रज्या ( गोविन्दवाचक का भाँति ), (२) रोष से लो हुइ प्रव्रज्या (शिवभूति की भांति ), (३) दरिद्रता के कारण ली हुई प्रव्रज्या (किसी लकड़हारे को भांति ), (४) स्वप्न देखकर ली हुई प्रव्रज्या ( पुष्पचूला की भांति), (५) कोई प्रतिज्ञा पूर्ण होने पर ली हुई प्रव्रज्या (धन्यक की भांति ), (६) जन्मान्तर के स्मरणपूर्वक लो हुई प्रव्रज्या (प्रतिबुद्धि आदि राजाओं की भांति), (७) रोग के कारण ली हुई प्रव्रज्या ( सनत्कुमार की भांति ), (८) अपमानित होने के कारण ली हुई प्रव्रज्या ( नंदिषेण की भांति ), (९) देवों द्वारा प्रतिबुद्ध किये जाने पर ली हुई प्रव्रज्या ( श्वेतार्य की भांति ), और (१०) पुत्रस्नेह के कारण ली हुई प्रव्रज्या ( वज्रस्वामी की भांति ) । १. उत्तराध्ययनसूत्र ८.१-२। २. पुत्र और स्त्रियों के जीवन निर्वाह का प्रबन्ध न करके यदि कोई पुरुष प्रव्रज्या लेना चाहे तो कौटिल्य ने उसे साहसदंड देने का विधान किया है, अर्थशास्त्र २.१.१९.३६ । ३.१०.७१२ ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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