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________________ च० खण्ड ] छठा अध्याय : रीति-रिवाज ३६५ अनेक दिन की संखडि करते थे ।" सूर्य के पूर्व दिशा में रहने के काल में पुरः संखडि और सूर्य के पश्चिम दिशा में रहने के काल में पश्चात् संखडि मनायी जाती थी । अथवा विवक्षित ग्राम आदि के पास पूर्व दिशा में मनाये जाने वाले उत्सव को पुरः संखड और पश्चिम दिशा में मनाये जाने वाले उत्सव को पश्चिम संखडि कहा जाता था । यावन्तिका, प्रगणिता, क्षेत्राभ्यंतरवर्तिनो आदि के भेद से संखडि कई प्रकार की बतायी गयी है । यावन्तिका में तटिक ( कार्पाटिक) आदि से लेकर चांडाल तक समस्त भिक्षुओं को भोजन मिलने की व्यवस्था होती थी । प्रगणिता में शाक्यों, परिव्राजकों और श्वेतपटों की जाति अथवा नाम से गणना करके उन्हें भिक्षा दी जाती थी | सक्रोश ( कोस ) योजन के भीतर मनायी जानेवाली संखडि को क्षेत्राभ्यंतरवर्तनी, और उसके बाहर मनायी जानेवाली को क्षेत्रबहिर्वर्तिनी संखडि कहा है । चरक, परिव्राजक और कार्पाटिक आदि साधुओं से व्याप्त संख को आकीर्ण कहा गया है। इसमें बहुत धक्का-मुक्की होने से हाथ, पैर अथवा पात्र आदि के भंग होने का डर रहता था । पृथ्वीकायिक और जलकायिक आदि जीवों के कारण मार्ग शुद्ध नहीं रहता, इसलिए इसे अविशुद्धपंथगमना संखडि कहा गया है । प्रत्यपाय संखडि में चोर, श्वापद आदि से व्याघात होने का भय रहता है । इसमें प्रमत्त हुई चरिका और तापसी आदि भिक्षुणियों द्वारा ब्रह्मचर्य भंग होने की शंका बनी रहती है । संखडियां अनेक स्थानों पर मनायी जाती थीं। तोसलि देश के शैलपुर नगर में ऋषितडाग नामक तालाब के किनारे लोग प्रतिवर्ष आठ दिन तक संखडि मनाते थे । भृगुकच्छ के पास कुण्डलमेण्ठ नाम के व्यंतर देव की यात्रा के समय, प्रभास तीर्थ पर और अर्बुदाचल ( आबू ) पर भी संखडि मनाने का रिवाज था । आनंदपुर के निवासी सरस्वती नदी के पूर्वाभिमुख प्रवाह के पास शरद् ऋतु में यह त्यौहार मनाते थे । गिरियज्ञ आदि में सायंकाल में मनायी जानेवाली १. बृहत्कल्पभाष्य १.३१४१-४२ । २. वही १.३१४३ | ३. वही १.३१८४-८६ ; निशीथभाष्य ३.१४७२-७७ । ४. बृहत्कल्पभाष्य १.३१५० । ५. लाट देश में इसे वर्षा ऋतु में मनाते थे, बृहत्कल्पभाष्य १.२८५५ ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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