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________________ च० खण्ड ] छठा अध्याय : रीति-रिवाज ३५९ लाट देश में रस्सी के जलने को शुभ माना जाता था।' नूतन गृह में कबूतरों का प्रवेश अमंगलक सूचक समझा जाता था। नवजात शिशु को कूड़ो पर डालना, या उसे गाड़ी के नीचे रख देना उसको दीर्घायु का कारण समझा जाता था। मेघकुमार की माता ने अपने पुत्र के निष्क्रमण महोत्सव के अवसर पर उसके अग्र केशों को एकत्रित कर एक श्वेत वस्त्र में बांध, उसे अपने रत्नों की पिटारी में रखकर एक मंजूषा में रख दिया। अनेक त्योहारों और उत्सवों के अवसर पर इन्हें देख-देख कर वह अपने पुत्र की याद किया करती थी। लोगों का विश्वास था कि सुवर्ण रस के पान करने से दरिद्रता दूर हो जाती है। आमोद-प्रमोद और मनोरंजन प्राचीन भारत के निवासी अनेक प्रकार से आमोद-प्रमोद और मनबहलाव किया करते थे। मह, छण (क्षण), उत्सव, यज्ञ, पर्व, पर्वणी, गोष्ठी, प्रमोद और संखडि आदि ऐसे कितने ही उत्सव और त्यौहार थे जबकि लोग जो-भरकर आनन्द मंगल मनाते थे। क्षण निश्चित समय के लिए होता, और उस दिन पकवान तैयार किया जाता था, जबकि उत्सव का समय कोई निश्चित नहीं था और उस दिन कोई विशेष भोजन बनाया जाता था । नामकरण, चूडाकरण और पाणिग्रहण आदि को उत्सव में ही सम्मिलित किया गया है। खेल-खिलौने छोटे बालक और बालिकाओं के लिए अनेक खेल-खिलौनों का उल्लेख आता है। खुल्लय (कपर्दक = एक प्रकार की कौड़ी), वट्टय १. आवश्यकटीका, पृ० ५-अ। २. व्यवहारभाष्य ७.४८ । तथा देखिए ट्राइब्स एण्ड कास्ट्स ऑव पञ्जाब एण्ड नौथ बैस्टर्न प्रोविन्स, जिल्द १, पृ० २२३ आदि । ३. देखिए पीछे, पृ० २४१ । ४. ज्ञातृधर्मकथा १, पृ० ३० । ५. निशीथचूर्णी १०.२७९२, पृ० ४३ । ६. बृहत्कल्पभाष्यवृत्तिपीठिका ६४४ । वात्स्यायन ने कामसूत्र में पाँच प्रकार के उत्सवों का उल्लेख किया है-विविध देवताओं सम्बन्धी उत्सव ( समाज, यात्रा और घट), स्त्री-पुरुषों की गोष्ठियाँ, आपानक, उद्यान-यात्रा और समस्याक्रीड़ा, सूत्र २६, पृ० ४४ ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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