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च० खण्ड] पांचवाँ अध्याय : कला और विज्ञान ...
(१३) नंदा ( शाश्वत पुष्पकरिणो )-प्रविभक्ति और चम्पा-प्रविभक्ति के अभिनय का प्रदर्शन ।
(१४) मत्स्यंड, मकरंड, जार, भार-प्रविभक्ति के अभिनय का प्रदर्शन ( सबके अभिनय का अलग-अलग प्रदर्शन, पहले बताया हुआ भभिनय मिश्रित था)।
(१५) क-ख-ग-घ-ङ को प्रविभक्ति के अभिनय का प्रदर्शन ( यहां ब्राह्मी लिपि का क-वर्ग समझना चाहिए । इस लिपि में 'क' को आकृति है + )।
(१६) च-वर्ग की प्रविभक्ति के अभिनय का प्रदर्शन । (१७) ट-वर्ग को प्रविभक्ति के अभिनय का प्रदर्शन । (१८) त-वर्ग की प्रविभक्ति के अभिनय का प्रदर्शन । (१९) प-वर्ग को प्रविभक्ति के अभिनय का प्रदर्शन ।'
(२०) अशोकपल्लव-प्रविभक्ति, आम्रपल्लव-प्रविभक्ति, जम्बूपल्लवप्रविभक्ति और कोशंबपल्लव-प्रविभक्ति के अभिनय का प्रदर्शन ।
(२१) पद्मलता-प्रविभक्ति, नागलता-प्रविभक्ति, अशोकलता-प्रविभक्ति, चंपकलता-प्रविभक्ति, आम्रलता-प्रविभक्ति, वनलता-प्रविभक्ति, वासंतीलता-प्रविभक्ति, कुन्दलता-प्रविभक्ति, अतिमुक्तकलता-प्रविभक्ति और श्यामलता-प्रविभक्ति के अभिनय का प्रदर्शन ।
(२२) द्रत नाट्य (नाट्यशास्त्र में द्रुत नामक लय और द्रुता नामक चाल का उल्लेख है) का अभिनय ।
(२३) विलंबित नाट्य के अभिनय का प्रदर्शन । (२४) द्रुतविलंबित नाट्य के अभिनय का प्रदर्शन ।
(२५) अंचित नाट्य (नाटयशास्त्र में मस्तक संबंधी और पाद संबंधी अभिनयों में इसका उल्लेख है) के अभिनय का प्रदर्शन।
१. यहां स्वरों तथा य, र, ल, व आदि व्यञ्जनों का उल्लेख नहीं किया गया, यह विचारणीय है। ___२. द्रुतं शीघ्रं गीतवाद्यशब्दयोर्यमकसमकप्रपातेन पादतलशब्दस्यापि समकालमेव निपातो यत्र, जम्बूद्वीपप्रज्ञप्तिटीका ५, पृ० ४१७ ।।
३. यत्र विलंबिते-गीतशब्दे स्वरघोलनाप्रकारेण यतिभेदेन विश्रान्ते वथैव वाद्यशब्दोऽपि यतितालरूपेण वाद्यमाने तदनुयायिना पादसञ्चारेण नर्तनं, वही । .
४. पुष्पाद्यलंकारैः पूजितस्तदीयं तदभिनयपूर्वकं नाट्यमपि अंचितं । अनेन कौशिकवृत्तिप्रधानाहार्याभिनयपूर्वकं नाट्यं सूचितं, वही।