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जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज [च० खण्ड भोजन का प्रबंध कर दिया। वहाँ उसे एक दासचेटी भोजन परोसती थी, कपिल का उससे प्रेम हो गया।'
कभी विद्यार्थी का विवाह अपने ही उपाध्याय की कन्या से हो जाता था। मगध देश के अचल ग्राम में धरणिजढ नाम का एक ब्राह्मण रहता था। उसके पुत्र का नाम कपिल था। वह रत्नपुर नगर में गया और वहाँ उपाध्याय के घर रहकर विद्याभ्यास करने लगा। कुछ समय पश्चात् , उपाध्याय ने अपनी कन्या सत्यभाभा का उससे विवाह कर दिया।
अनध्याय अनध्यायों के दिन पाठशालाएं बन्द रहती थीं । कोई वाह्य कारण उपस्थित हो जाने पर भी पाठशालाओं में छुट्टी हो जाती थी। यदि कभी आकाश में असमय में मेघ दिखायी देते, मेघ गर्जना सुनायी पड़ती, बिजली चमकती, घनघोर वर्षा होने लगती, कुहरा गिरता, अंधड़ चलता, या चन्द्रग्रहण या सूर्यग्रहण लगता, तो पाठशालाओं में अध्यापन का कार्य बन्द रहता। यदि कभी दो सेनाओं या दो ग्रामों में लड़ाई ठन जाती और आस-पास की शान्ति भंग हो जाती, स्त्रियां कलह करने लगतीं, मल्ल-युद्ध होता, या ग्रामस्वामी या ग्रामप्रधान आदि की मृत्यु हो जाती तो भी स्वाध्याय करने का निषेध किया गया है। इसके अतिरिक्त, छोटे-छोटे कारणों को लेकर भी पढ़ाई बन्द हो जाती। उदाहरण के लिए, यदि बिल्ली चूहे को मार देती, मार्ग में अंडा दिखायी दे जाता, मोहल्ले में किसी बालक का जन्म होता तो भी स्वाध्याय बन्द कर दिया जाता।
विद्यार्थियों का सम्मान विद्यार्थी जब बाहर से विद्याध्ययन समाप्त करके घर लौटते तो उनका धूमधाम से स्वागत किया जाता । दशपुर में सोमदेव ब्राह्मण का रक्षित नाम का एक पुत्र था। जब वह अपने पुत्र को घर न पढ़ा सका तो उसने उसे पाटलिपुत्र पढ़ने के लिए भेज दिया। वहां रक्षित ने
१. वही, पृ० १२३-अ आदि ।
२. वही १८, पृ० २४३ । तुलना कीजिए महाउमग्ग जातक (५४६), ६, पृ० ३९३ ।
३. व्यवहारभाष्य ७.२८१-३१९ । तुलना कीजिए याज्ञवल्क्यस्मृति १.६. १४६-५३; तथा आल्तेकर, वही, पृ० १०५ ।