________________
च० खण्ड ]
तीसरा अध्याय : स्त्रियों की स्थिति
२८५
किसी परिव्राजिका ने एक स्त्री को अपने पति को वश में करने के लिए अभिमन्त्रित क्रूर ( चावल ) खाने के लिये दिया । स्त्री ने सोचा कि कहीं इसके खाने से मेरे पति की मृत्यु न हो जाय । यह सोचकर उसने उस क्रूर को एक कूड़ी पर फिंकवा दिया । संयोग से उसे एक गधे ने खा लिया और वह रात भर उस स्त्री के द्वार पर टक्कर मारता रहा । "
सन्तानोत्पत्ति के लिए भी विद्याप्रयोग, मन्त्रप्रयोग, वमन, विरेचन, बस्तिकर्म और औषधि आदि का उपयोग किया जाता था ।
-wwwww
१. ओघनिर्युक्तिटीका ५९७, पृ० १९३-अ। २. निरयावल २, पृ० ४८ आदि ।