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जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज
[ च० खण्ड
अथवा मौसी की लड़की से भी विवाह होता था ।' देवर के साथ विवाह होने के उल्लेख मिलते हैं ।
जैनसूत्रों में भाई-बहन की शादी के भी उल्लेख मिलते हैं । जैनों के प्रथम तीर्थंकर ऋषभदेव के समय विवाह की यह प्रथा प्रचलित बतायी जाती है । स्वयं ऋषभदेव ने अपनी बहन सुमंगला के साथ विवाह किया था । इसी प्रकार उनके पुत्र भरत और बाहुबलि का विवाह ब्राह्मो और सुन्दरी नाम की उनकी बहनों के साथ हुआ था । पुष्पभद्रिका नगरी के राजा ने अपने पुत्र पुष्पचूल का विवाह अपनी कन्या पुष्पचूला के साथ किया था । ' उज्जैनी का गर्दभ नाम का युवराज अपनी बहन अडोलिया पर आसक्त हो गया और अपने अमात्य दीर्घपृष्ठ के सुझाव पर, भूमिगृह में उसके साथ रहने लगा । " गोल्ल देश में इस प्रकार के विवाह का प्रचार था।
गोल्ल देश में ब्राह्मणों को अपनी सौतेलो माता ( माइसवत्ती ) के साथ विवाह करने की छूट थी । अन्यत्र भी माता और पुत्र के परस्पर सम्भोग करने के उदाहरण मिलते हैं। पिता और पुत्री के सम्भोग का उल्लेख भी मिल जाता है । प्रजापति द्वारा अपनी दुहिता की कामना किये जाने का उल्लेख ब्राह्मण ग्रंथों की भाँति जैन ग्रंथों में भी मिलता
१. निशीथचूर्णी पीठिका, पृ० ५१ । २. पिंडनिर्युक्तिटीका १६७ ॥
३. आवश्यक चूर्णी, पृ० १५३ ।
४. उत्तराध्ययनटीका १३, पृ० १८९-अ ।
५. वृहत्कल्पभाष्य १. ११५५-५९ ।
६. आवश्यकचूर्णी २, पृ० ८१ । सुत्तनिपात की टीका ( १, पृ० ३५७ ) शाक्यों का उल्लेख है जो कुत्तों और गीदड़ों आदि पशुओं की भांति अपनी बहनों के साथ सम्भोग में रत रहते थे, और इस कारण कोलिय लोगों के उपहास के भाजन बनते थे । तथा देखिए कुणाल जातक ( ५३६ ), ५, पृ० ४९८ आदि; दीघनिकाय १, अम्ब सुत्त, पृ० ८०; इण्डियन हिस्टोरिकल कार्टरली, १९२६, पृ० ५६३ आदि; बी० सी० लाहा, वीमेन इन बुद्धिस्ट लिटरेचर ।
७. आवश्यकचूर्णी २, पृ० ८१; तुलना कीजिए आवश्यकटीका (हरिभद्र),
पृ० ५८०-अ; कथासरित्सागर, जिल्द ७, पृ० ११६ आदि ।
८. बृहत्कल्पभाष्य ४.५२२० - २३; आवश्यकचूर्णा, पृ० १७० ।