________________
२६४: जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज [च० खण्ड
बलदेव निसढ के पुत्र सागरचंद और राजकुमारी कमलामेला में नारदजी ने एक-दूसरे के प्रति आकर्षण उत्पन्न कर दिया। कमलामेला नभसेन को दी जा चुकी थी, लेकिन वह सागरचंद से प्रेम करने लगी। सागरचंद ने शंब से किसी तरह उसे प्राप्त करने का अनुरोध किया। उसने प्रद्यम्न से प्रज्ञप्ति विद्या ग्रहण की और उसके विवाह के दिन उसका हरण कर लाया। तत्पश्चात् रैवतक उद्यान में सागरचंद के साथ कमलामेला का विवाह हो गया।'
परस्पर के आकर्षण से विवाह स्रो और पुरुष एक-दूसरे के सौन्दर्य को देखकर परस्पर आकृष्ट हो जाते, और यह आकर्षण विवाह में परिणत हो जाता था । अपगतगंधा नाम को कन्या को एक अहीरनी ने पालने के लिए ले लिया। जब उसने यौवन में पदापेण किया तो वह कौमुदी महोत्सव देखने आयी। उस समय राजा श्रेणिक भी अपने मंत्री अभयकुमार के साथ यह महोत्सव देखने के लिए आया हुआ था । अपगतगंधा को देखकर वह मोहित हो गया । उसने चुपचाप अपनी नाम-मुद्रिका अपगतगंधा के कपड़े के छोर में बाँध दी, और अभयकुमार से कह दिया कि उसकी अंगूठी चोरो चली गयी है। अभयकुमार समझ गया, और दोनों का विवाह हो गया। ___ आचारांगचूर्णी में इन्द्रदत्त और एक राजकुमारी की कथा आती है । इन्द्रदत्त राजकुमारी के ऊपर तांबोल फेंककर चला गया। राजकुमारी ने उसे जाते हुए देख लिया था। राजकर्मचारियों ने इन्द्रदत्त का पीछा किया और उसे पकड़कर उसकी खूब मरम्मत की। राजा को पता लगा तो उसने इन्द्रदत्त के वध को आज्ञा सुनायी । लेकिन राजकुमारी ने उसकी रक्षा की । अन्त में दोनों का विवाह हो गया।
कला-कौशल देखकर विवाह । किसी कन्या के कला-कौशल से प्रभावित होकर भी पुरुष उसके साथ विवाह करने के लिए उत्सुक हो जाते थे। क्षितिप्रतिष्ठित नगर के राजा जितशत्रु ने अपने प्रासाद में एक चित्रसभा बनवानी आरम्भ की। चित्रकारों में चित्रांगद नाम का एक वृद्ध चित्रकार भी था। उसकी
१. बृहत्कल्पभाष्य पीठिका १७२, पृ० ५७ । २. निशीथचूर्णी पीठिका २५, पृ० १७ । ... ..... ३. आचारांगचूर्णी ५, पृ० १८६ । ................