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________________ २६२. जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज [च० खण्ड दोनों में युद्ध होने लगा। अन्त में राम ने अपने शर से बनावटी सुग्रीव का वध कर सत्यता का परिचय दिया। . श्रेणिक द्वारा गणराजा चेटक की कन्या चेल्लणा का अपहरण करने का उल्लेख मिलता है। किसी परिव्राजिका ने चेल्लणा का चित्र एक फलक पर चित्रित कर राजा श्रेणिक को दिखाया । श्रेणिक चित्र को देखकर मुग्ध हो गया। उसने यह बात अपने मंत्री अभयकुमार से कहो । अभयकुमार राजा चेटक के कन्या-अन्तःपुर के पास एक दुकान लेकर रहने लगा। एक बार, उसने चुपके से सामान के साथ श्रणिक का चित्र भी दासियों के हाथ अन्तःपुर में भिजवा दिया। सुज्येष्ठा और चेल्लणा चित्र देखकर मुग्ध हो गयीं। अभयकुमार ने अपनी दुकान से लेकर अन्तःपुर तक एक बड़ी सुरंग खुदवाई। उसने श्रेणिक को बुलवा लिया । चेटक की दोनों कन्याएँ श्रेणिक के साथ चलने को तैयार हो गयौं । लेकिन सुज्येष्ठा वहीं रह गयो और चेल्लणा उसके साथ चली आयी । तत्पश्चात् दोनों का विवाह हो गया। उज्जैनी के राजा प्रद्योत ने कौशाम्बी के उदयन को अपनी कन्या वासवदत्ता को वीणा की शिक्षा देने का आदेश दिया था। लेकिन दोनों में प्रीति हो गयी और उदयन भद्रावती हथिनी पर बैठाकर उसे कौशाम्बी ले आया। सामन्तवाद के उस युग में कभी ऐसा भी होता था कि किसी रूपवती कन्या के रूप-लावण्य की प्रशंसा सुनकर राजा लोग कन्या के पिता के पास कन्या को मंगनी के लिए दूत भेजते, और यदि कन्या प्राप्त न होती तो युद्ध मच जाता। मल्लि मिथिला के राजा कुम्भक की रूपवती कन्या थी । कोशल के राजा पडिबुद्धि ने अपने मंत्री सुबुद्धि से, अंग के राजा चन्द्रच्छाय ने व्यापारियों से, काशी के राजा शंख ने सुवर्णकारों से, कुणाल के राजा रुक्मि ने अपने वर्षधर से, कुरु के राजा अदीनशत्र ने चित्रकारों से और पाञ्चाल के राजा जितशत्र ने किसी तापसो से मल्लि के रूप-गुण की प्रशंसा सुनी, तो उन सबने मिलकर कुम्भक के ऊपर आक्रमण कर दिया। राजा कुम्भक हार गया और उक्त छहों राजाओं ने नगरी के चारों ओर घेरा डाल दिया। १. वही, पृ० ८८ । २. आवश्यकचूर्णी, २, पृ० १६५-६६ । ३. वही, पृ० १६१ । ४. ज्ञातृधर्मकथा ८।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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