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तीसरा अध्याय
स्त्रियों को स्थिति
स्त्रियों के प्रति सामान्य मनोवृत्ति स्त्रियों के विषय में कहा गया है कि वे विश्वासघाती, कृतघ्न, कपटी और अविश्वासी होती है, इसलिए उन पर कठोर नियंत्रण रखने की आवश्यकता है। एक उक्ति है कि जिस गांव या नगर में स्त्रियाँ शक्तिशाली हैं वह निश्चय ही नाश को प्राप्त होता है। मनु महाराज के शब्दों में जैनसूत्रों में कहा है-"जब स्त्री पैदा होती है तो पिता के अधीन रहती है, जब उसका विवाह हो जाता है तो पति के अधीन हो जाती है, और जब विधवा होती है तो पुत्र के अधीन हो जाती है-तात्पर्य यह कि नारी कभी स्वतंत्र नहीं रह सकती।" ___कोई वधू अपने घर की खिड़की में बैठी-बैठी नगर की सुन्दर वस्तुएँ देखा करती थी। कभी वह कोई जूलूस देखती, तो कभी इधरउधर भागते हुए घोड़े या रथ से होने वाली हलचल देखती। धीरेधीरे पर-पुरुषों में उसकी रुचि होने लगी। यह देखकर उसके श्वसुर ने उसे रोका, पर वह नहीं मानी। उसकी निन्दा की, फिर भी कोई असर न हुआ। तत्पश्चात् कोड़े से ताड़ना की, फिर भी न मानी। अन्त में उसे घर से निकाल दिया।
स्त्रियों को मारने-पीटने का रिवाज था, और स्त्रियाँ इस अपमान को चुपचाप सहन कर लेती थीं। किसी गृहस्थ ने अपनी चारों स्त्रियों को मारकर घर से निकाल दिया। उसकी पहली पत्नी घर से निकल कर दूसरे के घर चली गयी, दूसरी अपने कुलगृह में जाकर
. १. व्यवहारभाष्य १, पृ० १३० । २. जाया पितिव्वसा नारी दत्ता नारी पतिव्वसा ।
विहवा पुत्तवसा नारी नत्थि नारी सयंवसा ॥-व्यवहारभाष्य ३.२३३ । ३. बृहत्कल्पभाष्य १.१२५९ आदि।
४. देखिए पिण्डनियुक्ति ३२६; तथा ज्ञातृधर्मकथा, १६, पृ० १६६: तथा अर्थशास्त्र ३.३.५९.१० ।