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________________ २४१ च० खण्ड] दूसरा अध्याय : कुटुम्ब-परिवार गर्भपात स्त्रियों द्वारा गर्भपात किये जाने के भी उदाहरण मिलते हैं। मियग्गाम नगर के विजय क्षत्रिय की भार्या मृगादेवो जब गर्भवती हुई तो उसके शरीर में बहुत पीड़ा रहने लगी, और तभी से वह विजय को अप्रिय हो गयी। उसने अनेक क्षार, कट्रक, और कसैली औषधियाँ खाकर गर्भ गिराने का प्रयत्न किया, लेकिन सफल न हुई। अन्त में उसने जन्मांध पुत्र को जन्म दिया। पुत्र जन्म होने के बाद उसने दाई को बुलाकर उसे गांव के बाहर एक कूड़ी पर छोड़ आने को कहा। लेकिन दाई ने विजय क्षत्रिय के पास जाकर यह भेद खोल दिया। यह सुनकर विजय बहुत नाराज हुआ और फौरन ही मृगादेवी के पास जाकर उसने कहा कि देखो यह तुम्हारा प्रथम पुत्र है, यदि इसे कूड़ी पर छोड़ दोगी तो भविष्य में तुम्हारी सन्तान जीवित न रहेगी। रानी चेल्लणा के दोहद के सम्बन्ध में कहा जा चुका है। जब उसके गर्भ से कुणिक का जन्म हुआ तो उसने अपनी दासचेटी को बुलाकर उसे कूड़ो पर छोड़ आने को कहा । दासचेटी ने अपनी स्वामिनी की आज्ञा शिरोधार्य कर, अशोकवन में जा नवजात शिशु को कूड़ी पर डाल दिया। राजा श्रेणिक को जब इसका पता लगा तो कूड़ी पर से उसने शिशु को उठवा मँगाया । उसे लेकर वह चेल्लणा के पास पहुंचा, और उसे बहुत बुरा-भला कहा । रानी बहुत शारीरस्थान १,४.१६, पृ० ६६८; सुश्रुतसंहिता, शारीरस्थान ३, पृ० ६०६२; तथा महावग्गं १०.२.८, पृ० ३७३; कथासरित्सागर, परिशिष्ट ३, २२१-८। १. विपाकसूत्र १, पृ. ६ आदि; अावश्यकचूर्णी २, पृ० १६६; श्रावश्यकचूी पृ० ४७४। २. महावग्ग ८.१.२, पृ० २८७ में भी कूड़ो पर डालने का उल्लेख अाता है। ३. सुभद्रा के मृत सन्तान पैदा होती थी। सन्तान पैदा होते ही वह उसे कूड़ी पर छुड़वा देती और फिर तुरन्त ही-मंगवा लेती, विपाकसूत्र २, पृ० १७ । इसी प्रकार भद्रा अपनी मृत सन्तान को शकट के नीचे डलवाकर उसे वापिस मंगवा लेती, वही, ४, पृ० ३० । १६ जै० भा०
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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