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२४० जैन श्रागम साहित्य में भारतीय समाज [च० खण्ड कारण वह बीमार रहने लगी। वह बहुत उदास हुई और दिनपर दिन कृश होती चली गयी । श्रेणिक को जब इस बात का पता लगा तो वह अत्यंत उदास हुआ। अंत में उसके कुशल मंत्री अभयकुमार ने अपनी विमाता का दोहद पूर्णकर उसे सतुष्ट किया ।'
चेल्लणा देवी राजा श्रेणिक की दूसरी रानी थी। उसे दोहद हुआ अपने पति के उदर के मांस को भून और तलकर, सुरा आदि के साथ भक्षण करने का । यहाँ भी अभयकुमार की बुद्धिमता काम आयी। उसने कसाईखाने ( घातस्थान ) से ताजा मांस, रुधिर तथा उदर की अंतड़ियाँ मँगवायों। उसके बाद उसने राजा को सीधा लेट जाने को कहा । राजा के उदर-प्रदेश पर मांस और रुधिर रख दिया गया और ऐसा प्रदर्शित किया गया कि सचमुच उसके ही उदर से मांस काटा जा रहा है। इस प्रकार राजा के माँस का भक्षण कर चेल्लणा ने दोहद पूर्ण किया। ____ अन्य भी अनेक दोहदों का उल्लेख जैन आगमों की टीका में किया है, जिन्हें पूर्ण कर गर्भवती स्त्रियों ने सन्तान को प्रसव किया। किसी को गाय-बैल के सुस्वादु मांस-भक्षण करने का, किसी को चित्रलिखित हरिणों का मांस भक्षण करने का, किसी को चन्द्रसुधा पान करने का, किसी को पुरुष के वस्त्र धारण कर आयध आदि से सज्जित हो चोरपल्लि के चारों ओर भ्रमण करने का, और किसी को दांतों के पासों से कोड़ा करने का दोहद होता, और पुरुष यथाशक्ति इन दोहदों को पूर्ण कर अपनी प्रियतमाओं की इच्छा पूरी करते ।
१. ज्ञातृधर्मकथा, १, पृ० १० आदि; उत्तराध्ययनटीका ६, पृ० १३२--श्र।
२. दूसरी परम्परा के अनुसार, खरगोश का मांस मंगाया गया था, श्रावश्यकचूणीं २, पृ० १६६ । बौद्ध परंपरा के अनुसार, कोशलराज को पुत्री को बिम्बिसार की जंघा का रक्तपान करने का दोहद हुआ था, थुस जातक (३३८), ३, पृ० २८६ ।
३. निरयावलियानो १, पृ०६-११ ४. विपाकसूत्र २, पृ० १४-१५ । १. पिण्डनियुक्ति ८०। ६. उत्तराध्ययनटीका ३, पृ० ५७ । ७. विपाकसूत्र ३, पृ० २३ ॥ ८. व्यवहारभाष्य १, ३, पृ० १६-अ । दोहद के लिए देखिए चरकसंहिता,