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च० खण्ड ] पहला अध्याय : सामाजिक संगठन २३३ और लुहारों की भी जाति-जुगुप्सितों में गिनती की गयी है।' ये सब जातियां अस्पृश्य कही जाती थीं। ___कर्म और शिल्प से जुगुप्सित स्पृश्य जातियों में, स्त्री-पोषक, मयूरपोषक, कुक्कुट-पोषक, नट, लंख, व्याध, मृगलुब्ध, वागुरिक, शौकरिक, मच्छीमार, रजक आदि कर्म-गुप्सित, तथा चर्मकार, पटवे, नाई, धोबी आदि की शिल्प-जुगुप्सितों में गणना की गयी है।
१. व्यवहारभाष्य २.३७, ३.९२, निशीथभाष्य ११.३७०७-३७०८ की चूर्णी; ४.१६१८ । अंगुत्तरनिकाय २.४ पृ० ८६ में नीच कुलों में चंडाल, वेन, नेसाद, रथकार और पुक्कुस कुलों का उल्लेख है।
२. व्यवहारभाष्य ३.६४, निशीथचूर्णी, वही।