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________________ दूसरा अध्याय कुटुम्ब - परिवार पारिवारिक जीवन कौटिल्य के अनुसार, परिवार के सदस्यों के भरण-पोषण के लिए, परिवार का मुखिया ही उत्तरदायी है। परिवार में बालक, स्त्री, माता, पिता, छोटे भाई-बहन और विधवा स्त्रियों का समावेश होता है । " परिवार के सब लोग एक ही स्थान पर रहते, एक ही जगह पकाया हुआ भोजन करते तथा सर्व-सामान्य जमीन-जायदाद का उपभोग करते । स्त्रियाँ छड़ने-पिछाड़ने, पोसने-कूटने, रसोई बनाने, भोजन परोसने, पानी भरने और बर्तन मांजने आदि का काम करतीं । पिता अथवा प्रपिता सारे परिवार का मुखिया तथा स्वामी होता, और सब लोग उसकी आज्ञा का पालन करते। उसकी पत्नी गृहस्वामिनी होती, जो परिवार के सब कामों का ध्यान रखती और अपने स्वामी की आज्ञाकारिणी होती । ननद और भावजों के बीच झगड़ेटंटे चला करते | 3 राजगृह के धन्य नाम के एक समृद्ध व्यापारी के चार पुत्र और चार पतोहुएँ थीं । एक दिन उसके मन में विचार आया कि यदि मैं कहीं चाल जाऊँ, बीमार हो जाऊँ, किसी कारण से घर के काम-काज की देखभाल न कर सकूँ, या कहीं मर जाऊँ तो घर का काम कौन संभालेगा | यह सोचकर उसने अपने सगे-सम्बन्धियों को भोजन के लिए निमन्त्रित किया और भोजन के उपरान्त अपनी पतोहुओं को चावल के दाने देकर उनकी परीक्षा लो । माता-पिता, स्वामी और धर्माचार्य का यथेष्ट सम्मान किया जाता था । पुत्र अपने माता-पिता को शतपाक और सहस्रपाक तेल तथा १. अर्थशास्त्र, २.१.१६. ३४ पृ० ६३ । २. बृहत्कल्पभाप्य ४.५१४७ टीका । ३. आवश्यकचूर्णी पृ० ५२६ । ४. ज्ञातृधर्मकथा ७, पृ० ८४ आदि । तथा देखिये अंगुत्तरनिकाय १, २, पृ० ५६ ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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