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૨૨૬ जैन आगम साहित्य में भारतीय समाज [च० खण्ड विजयघोष ब्राह्मण का संवाद आता है। जयघोष जब विजयघोष के पास भिक्षा के लिए उपस्थित हुए तो विजयघोष ने कहा-"वेदों में पारंगत, यज्ञार्थी, ज्योतिषशास्त्र और छह अंगों के ज्ञाता ब्राह्मणों के लिए हो यह भोजन है, अन्य किसी को यह नहीं मिल सकता।" इसपर जयघोष ने उसे सच्चे ब्राह्मण का लक्षण प्रतिपादित कर स्वधर्म में दीक्षित किया।' आर्य शय्यंभव के विषय में पहले कहा जा चुका है । जब प्रभव के शिष्य उनके पास पहुंचे तो वे यज्ञ-याग में संलग्न थे । राजा भी यज्ञ-याग के लिए अपने यहां ब्राह्मणों को नियुक्त करते थे । महेश्वरदत्त चार वेदों का पंडित था, और वह राजा की अशुभ नक्षत्रों से रक्षा करने के लिए मांसपिंड से यज्ञ-याग किया करता था। मज्झिमा नगरी के सोमलिज्ज ब्राह्मण को यज्ञ का प्रतिष्ठाता कहा गया है। कभी किसी देवता को प्रसन्न करने के लिये आगन्तुक पुरुष को मार डालते और जहाँ वह मारा जाता उस घर के ऊपर गीली वृक्षशाखा का चिह्न बना दिया जाता।
ब्राह्मणों के अन्य पेशे इसके अतिरिक्त, ब्राह्मण स्वप्नपाठक होते, और ज्योतिष विद्या के द्वारा भविष्य का बखान करते थे। राजा के पुत्र-जन्म के अवसर पर ब्राह्मणों को आमंत्रित कर उनसे भविष्य पूछा जाता तथा लक्षणा के पंडित ब्राह्मण तिल, मसा आदि शरीर के लक्षण देखकर भविष्य का बखान करते थे। भगवान् महावीर का जन्म होने पर, गणराजा सिद्धार्थ ने विविध शास्त्रों में कुशल आठ महानिमित्त के पंडित ब्राह्मणों को रानी त्रिशला देवी के स्वप्नों की व्याख्या करने के लिये अमंत्रित किया था। स्वप्नपाठकों ने उपस्थित होकर बालक के सम्बन्ध में भविष्यवाणी की। एक दूसरे ज्योतिषी ने पोतनपुर के राजा के सिर पर इन्द्र का वज्र गिरने को भविष्यवाणी की । ब्राह्मणों से पूछकर पता लगाया जाता कि यात्रा के लिए कौन-सा दिन शुभ है और
१. उत्तराध्ययनसूत्र २५ । २. विपाकस्त्र ५, पृ० ३३ । ३. आवश्यकचूर्णी, पृ० ३२४ ।। ४. बृहत्कल्पभाष्य १.१४५६ । ५. कल्पसूत्र ४.६६ आदि। ६. उत्तराध्ययनटीका १८, पृ० २४२ ।