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________________ तृ• खण्ड] चौथा अध्याय : उपभोग २०७ काय' (नीलो कपास के बने वस्त्र), खोमिय (क्षौमिक; कपास के बने वस्त्र), दुगुल्ल२ (दुकूल; दुकूल पौधे के तन्तुओं से बने वस्त्र ), पट्ट (पट्ट के तन्तुओं से बने वस्त्र), मलय, पतुन्न (पत्रोण; वृक्ष की छाल के तन्तु से निष्पन्न ), अंसुय (अंशुक ), चीणांसुय (चीनांशुक ), देसराग (रंगीन वस्त्र), अमिल* ( साफ चिट्टे वस्त्र ), गज्जफल (पहनते समय कड़-कड़ शब्द करने वाला वस्त्र), फालिय (स्फटिक; स्फटिक १. निशीथचूर्णी ७, पृ० ३६६ के अनुसार काक देश में होनेवाले काकजंघा नाम के पौधे के तन्तुओं से बनाये जाते थे। लेकिन यह बात बुद्धिग्राह्य नहीं जान पड़ती। २. लेकिन प्राचारांग के टीकाकार के अनुसार, गौड़ देश में उत्पन्न होने वाली एक खास तरह की कपास से ये वस्त्र बनते थे। ३. अनुयोगद्वार सूत्र (३७) में कीटज वस्त्रों के पांच भेद बताये गये हैं:-पट्ट, मलय, अंसुग, चीनांसुय और किमिराग ( सुवरण, बृहत्कल्पभाष्य २.३६६२ में)। टीकाकार के अनुसार, किसी जंगल में संचित किये हुए मांस के चारों ओर एकत्रित कीड़ों से पट्ट वस्त्र बनाये जाते हैं। मलय वस्त्र मलय देश में पैदा होता है । अंशुक चीन के बाहर, तथा चीनांशुक चीन में पैदा होता है। बृहत्कल्पभाष्य के टीकाकार का कहना है कि अंशुक एक प्रकार का रेशम है जो कोमल तन्तुओं से बनाया जाता है, जब कि चीनांशुक कोत्रा रेशम या चीनी रेशम से बनता है। सुवर्ण सुनहरे रंग का एक धागा होता है जो खास प्रकार के रेशमी कीड़ों से तैयार होता है । रेशम को महाभारत में कीटज कहा गया है, यह चीन और वाहलीक से अाता था। मैक्रिण्डल के अनुसार, कच्चा रेशम एशिया के भीतरी हिस्सों में कोस नाम के स्थान में तैयार किया जाता था। तथा देखिये भगवतीअाराधना ५६२ की आशाधर की टीका । कृमिराग के लिए देखिये डाक्टर ए० एन० उपाध्ये, बृहत्कथाकोष की प्रस्तावना, पृ० ८८। ४.पत्रोर्ण का उल्लेख महाभारत, २, ७८.५४ में है। कौटिल्य के अर्थशास्त्र २.११.२६. ११२ के अनुसार यह मगध, पुण्ड्रक तथा सुवर्णकुड्यक इन तीन देशों में उत्पन्न होता था। ५. श्राचारांग के टीकाकार शीलांक ने अमिल का अर्थ ऊँट किया है ! ६. परिभुज्जमाणा कडकडेति, निशीथचूर्णी, वही।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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