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१६२ जैन श्रागम साहित्य में भारतीय समाज [तृ० खण्ड
समय मापने के लिए नालिका अथवा शंकुच्छाया का उपयोग करते थे।
तुला का उल्लेख मिलता है। दूसरे की आँख बचाकर कमज्यादा तौलने (कूडतुल्ल) और मापने का काम चलता था।
१. दशवैकालिकचूर्णों १, पृ० ४४; बृहत्कल्पभाष्य पीठिका २६१ । अर्थशास्त्र, वही पृ० २४१ में नालिका का उल्लेख है।
२. उपासकदशा १, पृ० १०; निशीथचूर्णी, पीठिका ३२६ ची ।