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तृ० खण्ड] तीसरा अध्याय : विनिमय
१६१ गया है-घनमानप्रमाण और रसमानप्रमाण । घनमानप्रमाण (जिससे धान्य आदि की मापतौल की जाती है) के अनेक भेद हैं। उदाहरण के लिए, असई (असति), पसई (प्रसृति), सेतिका, कुडव, प्रस्थ, आढक, द्रोण' और कुम्भ के द्वारा मुक्तोली (ऊपर और नीचे की ओर संकरी तथा बीच में बड़े आकार का कोठा), मुख, इदूर, आलिन्दक, और अपचार आदि कोठारों के अनाज का माप किया जाता था।
माणिका द्वारा तरल पदार्थों का माप किया जाता था।
उन्मान में अगुरु, तगर, चोय आदि वस्तुएं आती हैं जिनके माप के लिए कर्ष, पल, तुला और भार का उपयोग किया जाता था। __ अवमान में हस्त, दंड, धनुष्क, युग, नालिका, अक्ष और मुशल की गणना होती है जिनसे कुएं, ईट का घर, लकड़ी, चटाई, कपड़ा
और खाई वगैरह मापी जाती थी। ____ गणिम अर्थात् गिनना । इसके द्वारा एक से लगाकर एक करोड़ तक गिनती की जाती थी।
प्रतिमान में गुंजा, काकिणी, निष्पाव, कर्ममाषक, मंडलक, और सुवर्ण की गिनती की जाती है जिनके द्वारा सोना, चांदी, रत्न, मोती, शंख और प्रवाल आदि तौले जाते थे।
दूरी मापने के लिए अंगुल, वितस्ति, रत्नि, कुक्षि, धनुष, और गव्यूत, तथा लम्बाई मापने के लिए परमाणु, त्रसरेणु, रथरेणु, बालाग्र, लिक्षा, यूका और यव का उपयोग किया जाता था। समय मापने के लिए समय, आवलिका, श्वास, उच्छ्वास, स्तोक, लव, मुहूर्त, अहोरात्र, पक्ष, मास, ऋतु, अयन, संवत्सर, युग, वर्षशत (शताब्दी) से लेकर शीर्षप्रहेलिका तक का उपयोग किया जाता था है।"
१. द्रोण, आढक, प्रस्थ और कुम्भ के लिए देखिए अर्थशास्त्र २.१६. ३७.३५-३८, पृ० २३४-३५ ।
२. सम्मोहविनोदिनी पृ० २५६ में कुम्भ का उल्लेख है । ३. अनुयोगद्वारसूत्र १३२ ।। ४. वही, १३३ । तुलना कीजिए अर्थशास्त्र २.२०.३८, पृ० २३७ । ५. वही २.२०.३८, पृ० २४१ आदि ।