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६ १८.) पाँचवाँ अध्याय : कला और विज्ञान । ..
३००-३३८ १. लेखन । अष्टादश लिपियां । ब्राह्मी और खरोष्ट्री लिपियां । अन्य लिपियां । अर्धमागधी भाषा । २. गणित और ज्योतिष । ३. आयुर्वेद । रोगों के प्रकार । रोगोत्पत्ति के कारण। वैद्यों द्वारा चिकित्सा । राजवैद्य । व्याधियों का उपचार । व्रण-चिकित्सा । विविध घृत और तेल । शल्यचिकित्सा । क्षिप्तचित्तता । छोटे-मोटे रोगों का इलाज । अस्पताल । ४. धनुविद्या। ५. संगीत और नृत्य । स्वरों के प्रकार । वाद्य । गेय, नाट्य और अभिनय । बत्तीस प्रकार की नाट्यविधि । अन्य नाट्य विधियां। ६. चित्रकला। ७. मूर्तिकला । ८. स्थापत्यकला । नाट्यशाला । रानी धारिणी का शयनागार । प्रासाद निर्माण । स्वयंवरमंडप, व्यायामशाला आदि । धार्मिक स्थापत्यकला । चैत्यस्तूपनिर्माण । विविध आसन आदि । किलेबन्दी।
छठा अध्याय : रीति-रिवाज ।
३३९-३७५ जादू-टोना और अंधविश्वास । जैनसाधु और मंत्रविद्या। विद्या और मंत्र-तंत्र का निषेध । जैन श्रमणों का ऋद्धियां । विद्या, मन्त्र और योग । आकर्षण, वशीकरण आदि । मन्त्र आदि की शक्ति । विविध विद्याएं। उच्छिष्ट विद्याएं। विद्याधर । जादू-टोना और झाड़-फूंक । विद्यासिद्धि। देव-आराधना। शुभाशुभ शकुन । तिथि, करग
और नक्षत्र । शुभ-अशुभ दिशाएं। शुभाशुभ विचार। स्वाध्यायसम्बन्धी शकुन । वस्त्रसम्बन्धी शकुन । अन्य शुभाशुभ शकुन । आमोदप्रमोद और मनोरंजन । खेल-खिलौने । क्रीड़ा-उद्यान । पर्व और उत्सव । पुत्रोत्सव । पyषण आदि पर्व। घरेलू त्यौहार। संखडि (भोज)। मल्लयुद्ध । कुक्कुटयुद्ध । मयूरपोतयुद्ध । अन्य खेल-तमाशे । अन्त्येष्टि क्रिया। जैन श्रमणों की नीहरण क्रिया। अन्य मृतक कृत्य । आत्मघात के प्रकार।
पाँचवाँ खण्ड : धार्मिक व्यवस्था
पहला अध्याय : श्रमण सम्प्रदाय ।
३७९-४२८ श्रमण-ब्राह्मण। भगवान महावीर का चम्पा में आगमन । श्रमणों के · प्रकार। १. श्रमण निम्रन्थ । वैराग्य के कारण । दीक्षा का निषेध । बाल-प्रव्रज्या । वृद्ध-प्रव्रज्या। गर्भावस्था में प्रव्रज्या । प्रवज्या