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के लिए माता-पिता की अनुज्ञा। निष्क्रमण-सत्कार । नमि राजर्षि और शक का संवाद । श्रमण संघ । व्रत-नियम पालन की दुश्चरता । धन्य अनगार की तपस्या। जिनकल्प और स्थविरकल्प । निर्ग्रन्थ श्रमणों का संकटमय जीवन । अध्वप्रकरण । नाव-गमन । चोर-डाकुओं का उपद्रव । वैराज्य-विरुद्धराज्य प्रकरण । उपाश्रयजन्य संकट । रोगजन्य कष्ट । दुर्भिक्षजन्य उपसर्ग। ब्रह्मचर्यजन्य कठिनाइयाँ । वेश्याजन्य उपद्रव । वाद-विवादजन्य तथा अन्य संकट । निर्ग्रन्थ श्रमणों का आदर्श। अपवाद मार्ग का अवलम्बन । २ शाक्य श्रमण । ३. तापस श्रमण । ४. परिव्राजक श्रमण । ५. आजीविक श्रमण । अन्य मत-मतान्तर । अजिन सिद्ध ऋषि ।
दूसरा अध्याय : लौकिक देवी-देवता।
४२९-४५० इन्द्रमह । स्कन्दमह । रुद्रमह । मुकुन्दमह । शिवमह । वैश्रमणमह । नागमह । यक्षमह । वानमन्तर और गुह्यक। यक्षायतन । भूतमह ।
आर्या और कोट्टकिरियामह । सिंहावलोकन -
४५१--४५५ परिशिष्ट १ जैन आगमों में भौगोलिक सामग्री।
४५६-४६० पौराणिक भूगोल । वैज्ञानिक भूगोल । जैन श्रमणों का विहार-क्षेत्र । आर्यक्षेत्रों की सीमा में वृद्धि । साढ़े पच्चीस आर्यक्षेत्र । जैन धर्म के अन्य केन्द्र।
४९१-५२५
. परिशिष्ट २ आगम साहित्य में उल्लिखित राजा-महाराजा।
जैन आगमों की अनुश्रुतियाँ । राजाओं की ऐतिहासिकता। धार्मिक कट्टरता का अभाव । तरेसठ शलाकापुरुष। चौबीस तीर्थकर । बारह चक्रवर्ती । बलदेव-वासुदेव-प्रतिवासुदेव । कृष्णवासुदेव । महावीर के समकालीन राजा-महाराजा। राजा श्रेणिक । राजा कूर्णिक ( अजातशत्रु )। मन्त्री अभयकुमार । श्रेणिक का अन्य परिवार । - राजा उदायी। महावीर का राजघरानों से सम्बन्ध । वैशाली का