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________________ तृ• खण्ड] पहला अध्याय : उत्पादन १५६ द्रव्य की प्राप्ति कर, कन्या के मालिक को उसका द्रव्य वापिस कर, कन्या को छुड़ाने का विधान है।' रुद्धदास रुद्ध दासों में महावीर भगवान् की प्रथम शिष्या चन्दनबाला का उदाहरण दिया जा सकता है। कौशाम्बी के धनावह सेठ की पत्नी मला ने चम्पा के राजा दधिवाहन की कन्या चंदनबाला को ईर्ष्यावश उसका सिर उस्तरे से मुंडवाकर, अपने घर के अन्दर बन्द कर दिया । कुछ समय बाद वहां से महावीर ने विहार किया और चंदनबाला ने उन्हें कुलथी का आहार देकर उनका अभिग्रह पूर्ण किया। वीतिभय के राजा उद्रायण ने उज्जैनी को जीतकर जब वहां के राजा प्रद्योत को बन्दी बनाया तो उसके मस्तक को श्वान के पद से चिह्नित किया। दासचेटों की कथायें शूर्पारक नगर में कोकास नाम का एक रथकार रहता था। उसकी दासी के किसी ब्राह्मण द्वारा एक पुत्र उत्पन्न हुआ जो दासचेट कहलाया । कोकास के भो एक पुत्र था, लेकिन लाड़-प्यार में उसने शिल्पविद्या का अध्ययन नहीं किया, जब कि दासीपुत्र ने कोकास की समस्त विद्या सीख ली। परिणाम यह हुआ कि कोकास के मरने पर उसके समस्त धन का मालिक दासीपुत्र ही बना ।' राजगृह के चिलात नामक दासचेट की कथा जैनसूत्रों में उल्लिखित है । धन्य सार्थवाह के बालकों को वह खिलाता था। चिलात. बड़ा हृष्ट-पुष्ट और बच्चों को खिलाने की कला में कुशल था। नगर के उद्यान में जाकर वह अनेक बालक-बालिकाओं के साथ क्रीड़ा किया करता । वह उनको कौड़ियां, लाख की गोलियाँ, गिल्ली (अडोलिया), गेंद, गुड़िया (पोत्तुल्लय), वस्त्र और आभरण आदि चुरा लेता । किसी को वह मारता, डांटता और किसी पर गुस्से से लाल-पीला हो जाता । १. व्यवहारभाष्य भाग ४, गाथा २.२०६-७ इत्यादि; तथा देखिए महानिशीथ, पृ० २८ । २. श्रावश्यकचूर्णी, पृ० ३१६-२०। । ३. निशीथचूर्णी, १०.३१८४ चूर्णी, पृ० १४६ । ४. आवश्यकचूर्णी, पृ० ५४० ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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