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________________ . चौथा अध्याय : सैन्य-व्यवस्था १०६ संग्रामिकी, दुर्भूतिका और अशिवोपशमिनो नामक भेरियों का उल्लेख प्राचीन सूत्रों में मिलता है। ये चारों ही गोशीर्ष चन्दन की बनी हई थीं। कहते हैं कि जब अशिवोपशामिनी भेरी बजायी जाती तो छह महीने के लिए समस्त रोग शान्त हो जाते ।' कृष्ण की दूसरी भेरी का नाम सन्नाहिका था। इस भेरी का शब्द सुनकर उनके सब सैनिकों ने एकत्रित हो राजा पद्मनाभ के विरुद्ध कूच किया था। भेरीपाल भेरी बजाने काम करता था। कृष्ण के पास पांचजन्य शंख था जिसका शब्द सुनकर शत्रु सेना भाग जाती थी। अरिष्टनेमि द्वारा इस शंख के फूके जाने पर समस्त भुवन बधिर हो जाता तथा देव, असुर और मनुष्य काँपने लगते थे ।' १. बृहत्कल्पभाष्य पीठिका ३५६ ।। २. महाभारत १.२४४.३८ में इसका उल्लेख है। ३. ज्ञातृधर्मकथा १६, पृ० १६० । ४. वही, पृ० १६२।। ५. उत्तराध्ययनटीका, १६, पृ० २७७ श्र। . ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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