________________
चौथा अध्याय : सैन्य-व्यवस्था
१०७
गुप्त बातों का पता लगाने के लिए गुप्तचर काम में लिये जाते । ये लोग शत्रुसेना में भर्ती होकर उनकी सब बातों का पता लगाते रहते थे । कूलवालय ऋषि को सहायता से राजा कूणिक वैशाली के स्तूप को नष्ट कराकर, राजा चेटक को पराजित करने में सफल हुआ था ।
अस्त्र-शस्त्र
3
युद्ध में अनेक अस्त्र-शस्त्रों का प्रयोग किया जाता था । इनमें मुग्दर, 3 मुदि (एक प्रकार की मुग्दर), करकय ( क्रकच = आरी, शक्ति ( त्रिशूल ), हल, गदा, मूसल, चक्र, कुन्त ( भाला ), तोमर ( एक प्रकार का बाण ), शूल, लकुट, भिंडिपाल ( मुग्दर अथवा मोटे फलवाला कुन्त ), शब्बल ( लोहे का भाला ), पट्टिश ( जिसके दोनों किनारों पर त्रिशूल हों ), चर्मेष्ट" ( चर्म से आवेष्टित पाषाण ), असिखेटक ( ढाल सहित तलवार ), खड्ग, चाप ( धनुष), नाराच ( लोहबाण ), कणक ( बाण ), कर्तरिका, वासी ( लकड़ी छीलने का औजार = बसोला ), परशु ( फरसा ) और शतघ्नी मुख्य हैं ।" युद्ध
१. गुप्तचर पुरुषों की स्थापना के लिए देखिए कौटिल्य अर्थशास्त्र
१.११.८ ।
"
२. आवश्यकचूर्णी २, पृ० १७४ । जैन साधुओं को गुप्तचर समझ कर गिरफ्तार कर लिया जाता था; देखिए उत्तराध्ययनटीका २, पृ० ४७; अर्थशास्त्र २.३५.५४-५५,१५-१६ ।
३. मुग्टर लोहे की भी बनी होती थी, उत्तराध्ययनटीका २, पृ० ३४ श्र । ४. महाभारत २.७०.३४ में इसका उल्लेख है ।
५. चर्मेष्टकाः इष्टका शकलादिभृतचर्म कुतपरूपाः, यदा कर्षणेन धनुर्धराः व्यायामं कुर्वन्ति, उपासकदशाटीका ७, पृ० ८५ ।
६. उत्तराध्ययन ६.१८ में भी उल्लेख है । तथा देखिए रामायण १.५.११ । कौटिल्य के अर्थशास्त्र २.१८.३६.७ के अनुसार शतघ्नी स्थूल और दीर्घ कीलों से युक्त एक महास्तम्भ होता था जिसे प्राकार के ऊपर लगाया जाता था । महाभारत ३.२६१.२४ में इसका उल्लेख है । यह एक चमकदार और अन्दर से खोखला यन्त्र होता था जिसमें घण्टियाँ लगी रहती थीं । तलवार या भाले की भाँति इसे हाथ से चलाया जाता था; हॉपकिन्स, जर्नल ऑव अमेरिकन ओरिंटियल सोसायटी, जिल्द १३, पृ० ३०० |
७. प्रश्नव्याकरण, पृ० १७ - ४४; उत्तराध्ययन १६.५१, ५५, ५८, ६१ श्रदि । तथा देखिए हेमचन्द्र, अभिधानचिंतामणि ३.४४६–४५१ ;