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________________ चौथा अध्याय : सैन्य-व्यवस्था ६३ रोहिणी' नामक महिलाओं के उल्लेख हैं, जिनके कारण संहारकारी युद्ध लड़े गये। मिथिला की राजकुमारी मल्ली' और कौशाम्बी की महारानी मृगावती भी युद्ध का कारण बनो। कालकाचार्य की साध्वी भगिनी सरस्वती को उयिनी के राजा गदभिल्ल द्वारा अपहरण करके अपने अन्तःपुर में रख लिये जाने के कारण, कालकाचार्य ने ईरान के शाहों के साथ मिलकर, गर्दभिल्ल के विरुद्ध युद्ध किया। ____ एक राजा दूसरे राजा पर आक्रमण करने की ताक में रहता, और यदि कोई बहुमूल्य वस्तु उसके पास होती तो उसे प्राप्त करने के लिए अपनी सारी शक्ति लगा देता । उज्जयिनी के राजा प्रद्योत और कांपिल्यपुर के राजा दुर्मुख के बीच एक बहुमूल्य दीप्तिवान महामुकुट को, लेकर युद्ध छिड़ गया । कहते हैं कि इस मुकुट में ऐसी शक्ति थी कि उसे पहनने से दुर्मुख दो मुँह वाला दिखाई देने लगता। प्रद्योत ने इस मुकुट की माँग की, लेकिन दुर्मुख ने कहा कि यदि प्रद्योत अपना नलगिरि हाथी, अग्निभीरु रथ, शिवा महारानी और लोहजंघ पत्रवाहक देने को तैयार हो तो ही वह उसे मुकुट दे सकता है। इस पर उद्रायण की रानी प्रभावी की दासी थी। गुटिका के प्रभाव से वह सुवर्ण के रंग की हो गयी थी। उज्जैन का राजा प्रद्योत हाथी पर चढ़ाकर उसे अपनी राजधानी ले गया। इस पर उद्रायण और प्रद्योत में यद्ध हुआ। १. रोहिणी बलराम की माता और वसुदेव की पत्नी थी। रोहिणी-युद्ध की कथा त्रिषष्टिशलाकाषुरुषचरित (८.४), तथा वसुदेवहिण्डी में मिलती है । २. काशी, कोसल, अङ्ग, कुणाल, कुरु और पाञ्चाल के राजाओं ने मिथिला की राजकुमारी मल्ली के रूपगुण की प्रशंसा सुनकर मिथिला पर आक्रमण कर दिया । मिथिला के राजा कुम्भ का इन छहों राजाओं के साथ युद्ध हुआ, ज्ञातृधर्मकथा ८। ३. मृगावती कौशाम्बी के राजा शतानीक की महारानी थी। कोई चित्रकार उसका चित्र बनाकर उज्जयिनी के राजा प्रद्योत के पास ले गया। चित्र को देखकर प्रद्योत रानी पर मोहित हो गया। उसने शतानीक के पास दूत भेजा कि या तो वह मृगावती को भेज दे, नहीं तो युद्ध के लिए तैयार हो जाय, आवश्यकचूर्णी, पृ० ८८ श्रादि । ४. देखिये निशीथचूर्णी १०.२८६० की चूर्णी । ५. राजा के धावनक जरूरी पत्र लेकर पवनवेग के समान दौड़ कर जाते थे, बृहत्कल्पभाष्य ६.६३२८ ।
SR No.007281
Book TitleJain Agam Sahitya Me Bharatiya Samaj
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagdishchadnra Jain
PublisherChaukhambha Vidyabhavan
Publication Year1965
Total Pages642
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size40 MB
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