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चौथा अध्याय सैन्य-व्यवस्था
युद्ध के कारण
उस युग में सामन्त लोग अपने साम्राज्य को विस्तृत करने के लिए युद्ध किया करते थे । क्षत्रिय राजा अवसर पाकर अपने शौर्य का प्रदर्शन करने में न चूकते । अधिकांश युद्ध स्त्रियों के कारण लड़े जाते । संकट अवस्था को प्राप्त स्त्रियों की रक्षा करने के लिए, उनके रूपसौन्दर्य से आकृष्ट हो, उन्हें प्राप्त करने के लिए अथवा स्वयंवरों के अवसरों पर प्रायः युद्ध हुआ करते । प्राचीन जैनग्रन्थों में सोता, द्रौपदी, रुक्मिणी पद्मावती, तास, कांचना, रक्तसुभद्रा', अहिन्निका", सुवर्णागुलिका, किन्नरी, सुरूपा, विद्यन्मती और
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१. सीता की कथा विमलसूरि के पउमचरिय में मिलती है । रावण सीता को हरण करके ले गया, उसे प्राप्त करने के लिए राम ने रावण के साथ युद्ध किया । २. द्रौपदी की कथा ज्ञातृधर्मकथा ( १६ ) में आती है। कौरव और पाण्डवों का युद्ध महाभारत के नाम से प्रसिद्ध है ।
३. रुक्मिणी और पद्मावती कृष्णवासुदेव की आठ
गयी हैं । रुक्मिणी कुण्डिनीनगर के भीष्मक राजा के पुत्र और पद्मावती अरिष्टनगर के राम के मामा हिरण्यनाभि की कन्या थी । कृष्ण द्वारा इनके अपहरण करने का उल्लेख हेमचन्द्र के त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित ( ८.६ ) में मिलता है । तारा सुग्रीव की पत्नी थी । बाली और सुग्रीव किष्किन्धापुर के राजा श्रादित्यरथ के पुत्र थे । सुग्रीव को राज्य सौंप कर बाली ने दीक्षा ग्रहण की थी ।
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महिषियों में गिनी रुक्मिण की बहन
४. तारासम्बन्धी युद्ध का वर्णन त्रिषष्टिशलाका पुरुषचरित ( ७.६ ) में मिलता है । तथा देखिए वाल्मीकिरामायण ४.१६ ।
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५. टीकाकार भयदेव के अनुसार कांचना, अहिन्निका, किन्नरी, सुरूपा और विद्युन्मती की कथाएँ अज्ञात हैं। कुछ लोग राजा श्रेणिक की अग्रमहिषी चेल्ला को ही कांचना कहते हैं । प्रोफेसर वेबर ने इन्द्र की उपपत्नी अहल्या को हिनिका बताया है ।
६. सुभद्रा कृष्णवासुदेव की बहन थी । अर्जुन द्वारा सुभद्रा के अपहरण की कथा, त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित ( ८.६ ) में मिलती है ।
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• सुवर्णगुलिका का असली नाम देवदत्ता था। वह सिंधुसौवीर के राजा