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तीसरा अध्याय : अपराध और दण्ड
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चेल्ला को उससे मिलने की अनुमति दी गयी । वह अपने बालों में कोई पेय छिपाकर ले जाती और इसका पान कर श्रेणिक जीवित रहता ।'
पुत्रोत्पत्ति, राज्याभिषेक आदि उत्सवों के अवसर पर प्रजा का शुल्क माफ कर दिया जाता, और कैदियों को जेल से छोड़ दिया
जाता ।
१. श्रावश्यकचूर्णी २, पृ० १७१ ।
२. ज्ञातृधर्मकथा १, पृ० २०; तुलना कीजिए अर्थशास्त्र २.३६.५६.६० ।