________________
©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©G 7. वात्सल्य दर्शनाचार - दर्शन गुण के कारण जन्मा हुआ अनहद धर्मराग वात्सल्य का
मूल स्तोत्र है। वात्सल्य में रहने वाला व्यक्ति सामने वाले के हजार दोषों को पचा सकता है। माँ के जैसा ! धर्मी, गुणियल, सम्यक्दृष्टि जीव को दृष्टियत करते अंतर में प्रगटित भाव ही वात्सल्य है। जैन साधु संस्था की अजोड़ता वात्सल्य उत्पन्न करती है । भगवान की अंतिम अट्ठारह
प्रहर की देशना में, सर्व श्रोता बैठे रहे थे। कैसे? 'मयणा' का वात्सल्य भी अजोड था। 8. प्रभावना दर्शनाचार - अन्यों को उद्यम तत्व प्राप्त करवाने का श्रेष्ठ उपाय। * तीर्थंकरों की देशना अनेक जीवों को भवसागर से तिरने का मार्ग दिखाती है ।
पात्रता चाहिए । छेद वाली बाल्टी या उल्टी बाल्टी नहीं भरी जा सकती तो इसमें वर्षा (बारिश) क्या करें?
चंडकौशिक महावीर के दो शब्द से समकित पा गया, प्रभावना उत्तम थी। * अपरिचित व्यक्ति को देखते होने वाले भाव परलोक की तसल्ली देते हैं। * जीवन दरम्यान परकाष्ठा स्तर का द्रव्य उपकार किसका ? माता पिता का । उन्होंने
जीवन दिया। माता-पिता धर्म की प्राप्ति करवाते हैं तो भाव उपकारी भी हैं। * धर्म की प्राप्ति करवाने, करने का उपाय प्रभावना, जिनाज्ञा ! सुलसा, चंपा
श्राविका, दमयंति-मयणा गीतार्थ जीवथे। जिनाज्ञा का दैनिक जीवन में अर्थ क्या ? अगर धर्म को पाया हो और वह उच्च एवं यथार्थ लगा हो तो उसके प्रति वफादार बनकर उसके अनुरुप चलो । लायक व्यक्ति, गुरु से धर्म प्रभावना की प्राप्ति करता
है और अन्य को तथा दूसरों लायक व्यक्ति को धर्म की प्राप्ति करवाता है। * दर्शनाचार का पालन कब ? प्रतिदिन ।
GOGOGO®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®© 66 90GOGO®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®e