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मुक्ति प्राप्ति के चार साधन कारण 1. अपेक्षा कारण, 2. निमित्त कारण, 3. असाधारण कारण, 4. उपादान कारण। 1. अपेक्षा - पूर्वगत कर्म आधारित : मोक्ष प्राप्ति के लिए अनुकूल काल चतुर्थ आरा,
आर्यक्षेत्र, आर्यजाति, उच्च गौत्र, संज्ञि पंचेन्द्रिय मनुष्य भव तथा वज्रऋषभनाराच
संघयण अपेक्षित है । इस हेतु इन सभी को अपेक्षा कारक माना गया है। 2. निमित्त कारण - योगानुयोग निमित्त मिलने से मुक्ति-सिद्धि कार्य संभव बनता है।
जड़ निमित्त : चरवला, मुंहपत्ती, कटासना, आसन, मंदिर । चेतन निमित्त : देव, गुरु,
धर्म।
3. असाधारण कारण - अपेक्षा एवं निमित्त कारण मिलते ही अंत:करण की शुद्धि होना
असाधारण कारण कहा जाता है । जैसे कि मंदिर-मूर्ति, आगमग्रंथ-धर्म, देव-गुरु निमित्त । उनसे क्रोध-मान-माया-लोभ का शमन, उपशमन होना वह असाधारण कारण। उपादान कारण - उपादान कारण अर्थात् आत्मा । स्वयं ही आत्मा का मोक्ष हो सकता है और होता है। अपेक्षा एवं निमित्त की प्राप्ति क्रम से है । उसकी प्राप्ति के पश्चात् असाधारण कारण एवं उपादान कारण को पाने की शक्यता बन जाती है। गुणस्थानक क्रमारोह चतुर्थ गुणस्थानक से प्रारंभ कर - सम्यक्त्व, देशविरति, सर्वविरति आदि साधक अवस्थाएँ अर्थात् असाधारण कारण। केवल ज्ञान प्राप्त होन के पश्चात् असाधारण कारण एवं उपादान कारण एक हो जाते हैं। गुण एवं गुणी अभेद हो जाते हैं।
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