________________
GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGO®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®OGOGOGOGOGOG * श्रीखंड + हरे सूखे कठोल की सब्जी, केलावड़ा, चने का खमण, मूंग की दाल, पापड़,
चने की लोट वाली कढ़ी = जीवोत्पत्ति * कढ़ी श्रीखंड का भोजन - कढ़ी में चावल के आटे का अटियामण वापरना। * ढोकला - कच्ची छाछ + कठोल का लोट = जीवोत्पत्ति * दही एवं मेथी के मुट्ठिये + कच्चा दही = जीवोत्पत्ति * मेथीदाना डाला हुआ अचार + श्रीखंड का कच्चा दही = जीवोत्पत्ति * छाछ - भोजन के बाद मुँह अच्छी तरह साफ न कर पीने से = जीवोत्पत्ति * दही : दूध + जमावण = पैद्गलिक परावर्तन (जैन थ्यौरी) * दही की काल मर्यादा
दूध में जमावण डालने के बाद (16 प्रहर - 48 घंटे) - 2 रात रहे तो अभक्ष्य दो रात्रि पूर्व छाछ बनाओ
- अगले 2 दिन/रात दो दिन पूर्व छाछ के थेपले
- अगले 2 दिन दो दिन पूर्व थेपले के सेक लेने पर
- अगले 15 दिन 15 दिन पूर्व सेके हुए थेपले का चिवड़ा - अगले 15 दिन
दही की मर्यादा इस प्रकार कुल 36 दिन तक रहती है।
जाप के प्रकार एवं वैज्ञानिक मूल्य पूजा केटिसमं स्तोत्रं, स्तोत्र कोटिसमो जपः ।
जप कोटिसमं ध्यानं, ध्यान कोटीसमो लयः॥ वीतराग परमात्मा या अन्य देव-देवी की करोड़ बार पूजा करने के समान उनकी एक स्तुतिपाठ है । करोड़ बार स्तुति पाठ के बराबर एक जाप है । करोड़ बार जाप करने के बराबर ध्यान है एवं करोड़ बार ध्यान करने के बराबर एक लय है । परमात्म स्वरूप में रमणता अथवा ध्याता, ध्येय एवं ध्यान तीनों की एकरूपता है। GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGO90 50 GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGe