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________________ @GOOGOGOGOG@G©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®@GOGOG 2. आत्मवत् सर्वभूतेषू : सभी तेरे भाई हैं । सब तेरे हैं, तू सभी का है । जैसा तू, वैसे ही अन्य हैं। वसुदैव कुटुम्बकम् की भावना वीतराग दशा प्राप्त के पश्चात् प्रशस्त-अप्रशस्त राग, मोह का सर्वथा क्षय जरूरी है। सर्व जीवों का हित, मैत्री भावना । उसके आनंद से प्रमोद भावना, करुणा, माध्यस्थ भावनाओं आदि। समग्र जीव सृष्टि के साथ आत्मीयता-अहिंसा की नींव । द्विदल का विज्ञान (संक्षिप्त) (Research of Dining Table) से द्विदल : जिसकी दाल बने वह सब द्विदल ।मूंग, तुअर, उड़द, चना, मठ, वाल, चवला, वटाणा, मैथीदाना, मसूर, कलथी, लोंग की दाल । इन सबके हरा पान, हरे दाने तथा उसका आटा सभी द्विदल गिने जाते हैं। 4 लक्षणों में सभी ही जिसमें घटे वही द्विदल । (1) वृक्ष के फलरुप जो न हो । (2) जिससे तेल न निकले । (3) घट्टी में पीसने से जिसकी दाल बने । (4) जिसके दो भाग के बीच परदा न हो। * द्विदल कठोल की वानगी + कच्चा दूध, दही, छाछ = बेइन्द्रिय जीवों की उत्पत्ति (संयोगिक दोष) द्विदल के दोष लगने के संभव वाली वानगीयाँ :* दही बड़ा :- बड़े + कच्चा दही = जीवोत्पत्ति * रायता एवं बूंदी - कच्चा दही + बूंदी = जीवोत्पत्ति * मैथी के थपेले - गेहूं बाजरे का आटा + मेथी की पत्ती + कच्ची छाछ = जीवोत्पत्ति * कढी - कच्ची छाछ + बेसन = जीवोत्पत्ति 90®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®0 4999@G©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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