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घी - दूध में से दही, छाछ, घी, मक्खन बनता है । मक्खन 48 मिनिट तक सचित्त और उसके बाद अचित्त । ऐसे मक्खन का बना हुआ घी प्रासुक - अचित है इसलिए भक्ष्य है ।
तेल - 4 प्रकार के तेल विगई में गिने जाते हैं । तिल का तेल, अलसी का तेल, सरसों का तेल, कुसुम्भ नामक घास का तेल ।
गुड़-शक्कर - कामवासना उत्तेजन करने वाला हो सकता है । कच्चा गुड़ (नरम गुड़) इस कक्षा में आता है ।
तला हुआ - पहले तीन धाण में तली हुई विगई की गिनती में आती है। चार, पाँच, छ: धाण में तली हुई विगई नहीं ।
कंदमूल - कंदमूल अनंतकाय वनस्पति होने से अभक्ष्य है । आलू, प्याज, लहसुन आदि वनस्पतियों के प्रत्येक कोष में अनंत जीवराशि होती है । कारण कि वह अनंतकाय है । कद्दू हरी वनस्पति होने से तब अनंतकाय होने से अभक्ष्य है । सूखने के बाद उसमें स्वयं Dehydration होता है ।
जैन दर्शन एवं दो भिन्न विचार
1. ब्रह्म सत् जग मिथ्या : संसार के सर्व संबंध मिथ्या हैं । कोई किसी का नहीं । अकेला आए, अकेले ही जाना है ।
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जैन दर्शन अनुसार यह विचारधारा अनासक्त भाव की प्रेरणा देती है । अंत समय में यह भाव हमारा कल्याण कर देता है । बंधे हुए संबंध मृत्यु के बाद भी साथ रहते हैं । पूर्व भव के संबंधों से ही वर्तमान संबंध बनते हैं ।
मरिचि एवं कपिल : महावीर एवं गौतम भवोभव साथ ।
त्रिपृष्ठ वासुदेव एवं शय्यापालक - महावीर एवं कान में कीलें ।
त्रिपृष्ट एवं सिंह - महावीर एवं गौतम का शिष्य होने को चाहता हुआ किसान ।
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