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सामान्य प्रकार से धान्य का दाना 48 मिनिट अंतमुहूर्त समय में निर्जीव बन जाता है। बाकी ज्ञानी गम्य ।
धान्य निर्जीव होने की शक्यता अधिक होने से हरी वनस्पति त्याग हिंसा से बचाती है ।
कर्मवाद के नियमानुसार जिन पदार्थों में हमारी आसक्ति होती है उन पदार्थों में हमारा जन्म होता है ।
विगई - महाविगई
विगई - प्राकृत शब्द है । संस्कृत रूपांतर - विकृति दूध, , दही, घी, तेल, गुड़ एवं शक्कर, तला हुआ आदि । महाविगई - मक्खन, मध, मद्य, अण्डा, मांस, मछली आदि ।
दूध - गाय, भैंस, बकरी, ऊँटनी, घेटी का दूध का उपयोग जरूरत हो उतना ही करें अथवा न करें। दूध में 80 प्रतिशत केसीन (प्रोटिन) है जो सुपाच्य है । दही - 4 प्रकार से । गाय, भैंस, बकरी एवं घेटी के दूध में से बने । ऊँटनी के दूध में से दही नहीं बनता है ।
दूध बिगड़ जाए या उसमें खटास आ जाए तो यह जीवाणु उत्पन्न होने के कारण से होता है । दही के साथ बिगड़े हुए दूध की बराबरी करना अनुचित ही है ।
दही में बैक्टेरिया (जो दूध में से दही बनाता है) होते हैं, वे विशिष्ट प्रकार के होते हैं । हमारे शरीर में भी इसी प्रकार के जीवाणु होते हैं, जो HCL की उपस्थिति में भी मरते नहीं । इस हेतु दही का जैन शास्त्रों में निषेध नही । वैज्ञानिक दृष्टि से सभी खाद्य पदार्थों में कम-अधिक अशं में जीवाणु - कीटाणु एवं बेक्टेरिया होते हैं । इसमें प्रत्येक खाद्य पदार्थ अभक्ष्य नहीं बन जाता । दही दो रात्रि जाने के बाद अभक्ष्य बनता है । कारण जीवोत्पत्ति की शक्यता खूब बढ़ जाती है ।
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