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________________ 4. मनुष्य एवं जंतु की गतिविधि भी अनुभव करता है । 5. वनस्पति जीवों में आहार (अमरबेल जो दूसरे छोड़ में जाकर स्वयोग्य आवश्यक आहार ले लेता है); लजामणी का छोड़ भय संज्ञा का अनुभव करता है । नागफणी कांटे से स्वयं की रक्षा करती है । मैथुन : क्रोध : डंख मारती वनस्पति । : परिग्रह संज्ञा के उपरांत कषाय भी देखने को मिलती हैं । १७०७९७ मान : अहम् का विस्तार, बड़ के पेड़ में । माया : कीटभक्षी । लोभ : जमीन में से पेड़ भोजन प्राप्त कर पुष्ट बनता है । यूकेलीप्ट्स दूसरी आसपास की वनस्पति के लिए नुकसानदायक है । पानी को शोषित कर लेता है अशोक वृक्ष के नीचे बैठने से तनाव दूर होता है, बहेड़ा के पेड़ के नीचे बैठने से तनाव बढ़ता है । विज्ञान भी अब पृथ्वी, पानी, वायु में जीव है, ऐसा स्वीकारता है । रासायनिक पदार्थों से जमीन उजड़ भी बनती देखी जा रही है । * सूयगडांग सूत्र के अनुसार पानी वायु से बनता है, इस बात को Henry Quodinse H, O से सिद्ध की है । * मंदिर निर्माण के पूर्व भूमि खनन की क्रिया करते समय धरती से क्षमा याचना करने का नियम जैन धर्म पालन करता है । "मंगलकार्य के लिये खनन कर रहे हैं, इसलिए धरती क्षमा करना' । आगम सूत्र कहता है : तुमसि नाम सच्चेविं जंभ ईतव्य ति मनसि । जिसे तू मारता है, पीड़ा देता है, जिसे तू त्रास देता है इसे तू मारता नहीं है, पीड़ा नहीं देता है और ना ही त्रास देता है । परंतु तू स्वयं को ही मार रहा है, पीड़ा दे रहा है, त्रास दे रहा है । 44
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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