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________________ ©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©GOGOGOG * आहार के तीन प्रकार - ओजाहार - माता के गर्भ में लिए जाने वाला आहार लोमाहार - शरीर के छिद्रों द्वारा लिए जाने वाला आहार कवलाहार - मुख द्वारा कवल से लिए जाने वाला आहार 28 कवल स्त्री के लिए, 32 कवल पुरुष के लिए, वृत्ति संक्षेप तप । * इन्द्रियों में उपयोग रखिए - स्पर्श से किए गए पाप, प्रभु की पूजा से भस्मीभूत होते हैं। रसनेन्द्रिय से किए गए पाप, वीतराग की स्तवना से खंडित होते हैं। ध्राणेन्द्रिय द्वारा किए गए पाप, सचित्त-अचित्त गंध में समभाव रखने से समाप्त होते हैं। चक्षुरेन्द्रिय द्वारा किए गए पाप, प्रभुदर्शन से घटते हैं। श्रोत्रेन्द्रिय द्वारा किए गए पाप, वीतराग वाणी के श्रवण से दूर होते हैं। अविरति द्वारा किए गए पाप, विरति की आराधना से मिटते हैं। * पाँच द्रव्य के परिणाम जानने-समझने जैसे हैं : पृथ्वी - पृथ्वी को समयानुसार पोषक तत्व मिलता है तो वनस्पति उत्पन्न होती है। जल - जीव की जठराग्नि को पूर्ण करता है । (पानी से संतोष होता है), अग्नि को बुझा देता है, शरीर को भी पवित्र करता है। अग्नि - अनुपयोगी द्रव्यों का दहन कर भस्म करती है। वायु - शरीर में वायु (गैस) हो तो रोग को आमंत्रण देती है । जंगल की आग को वायु फैलाती है। आकाश - व्यापक स्थान । प्रत्येक द्रव्य को स्वयं में स्थान देता है । समग्र सानुकूलता करे वह आकाश। * जन्म-मरण की समाप्ति हो तब ही कहा जा सकता है कि जीवन सफल हुआ। GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOOGO90 3390GOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGe
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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