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बीस विहरमान जिनेश्वरों को नमस्कार हो, प्रतिदिन सीमंधर स्वामी प्रभु की उपस्थिति स्थापित कर, १२ खमाखमणा द्वारा नमन करें
आत्मा को भावित करिए .... * 12 खमासमणा - अरिहंत प्रभु के 12 गुणों को याद कर सीमंधर स्वामी प्रभु के चरणों
में नमन करें। * प्रथम 4 अतिशयों के याद करने के पश्चात् 8 प्रतिहार्यों को याद करें। 1. अपायापगमातिशय : हे प्यारे सीमंधर स्वामी ! हमारे सर्व अपायो (दुःखों) का अपगम
(नाश) हो जाए। 2. ज्ञानातिशय : पंचांग प्राणातिपात मुद्रा द्वारा सृजित यह मंगल कलश प्रभु, आपके ज्ञान
से सतत् भरता रहे। 3. पूजातिशय : आपकी साक्षात् उपस्थिति हो एवं हमें बार-बार आपकी पूजा का लाभ
प्राप्त होता रहे ...... होता रहे .....। 4. वचनातिशय : आपकी भाषा समिति भवोभव हमारे वचन में प्राप्त हो । 5. अशोक वृक्ष : हमारे सर्व भव अशोकमय हो। 6. सुरपूष्प वृष्टि : सुर पुष्प के समान आपका प्रणित आध्यात्म, आपकी जिनवाणी से
सुगंधित भवोभव प्राप्त हो। 7. दिव्य ध्वनि : हे वीतराग प्रभु ! हमारी स्तूतियों में, स्तवनों में, राग-रागिनियों में
आपकी दिव्य ध्वनि का रणकार प्राप्त हो। 8. चामर : आपकी साक्षात् उपस्थिति हो तथा चामर नृत्य का लाभ बार-बार मिले। 9. आसन : आसन नव वाँ खमासमणा है। 9 का अंक अप्रतिपाति है, उसी प्रकार आपका
आशीर्वाद अप्रतिपाति रूप भवोभव बरसता रहे। 10. भामंडल: हमारे अज्ञान का अंधकार भामंडल की कांति' से दूर हो । 11. देवदुंदुभि: हे प्रभु ! हमें आपकी देवदुंदुभि श्रवण करने का लाभ मिले, ऐसा भाग्य प्रदान
करो। 12. तीन छत्र : ज्ञान-दर्शन-चारित्र रूपी तीनों छत्रों का प्रभाव भवोभव प्राप्त होता रहे। GOOGOGOGOGOGOGOGOGOGOOGO90 790GOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGOGe