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________________ JUJUJUJJJJJJJJJJJJJJJJJJG 2. णमो सिद्धाणं' की माला गिनने के पूर्व आत्मा को भावित करिए। हे सिद्ध प्रभो ! आप जैसा निर्मल एवं अणिशुद्ध आरोग्य तन एवं मनका मुझे भी प्राप्त हो । आपका अनंत चतुष्ट्य आंशिक रुप से भी मुझे मिले । मेरे मन में स्थिरता में आपका प्रभाव सतत् बरसता रहे । णमो सिद्धाणं, णमो सिद्धाणं, णमो सिद्धाणं कहकर माला गिनना। 3. 'ॐ ह्रीं ऐं क्लीं सर्वरोग निवारीणी पद्मावत्यै नम: मंत्र द्वारा पद्मावती माता की माला __ गिनने के पूर्व मेरे मन, वचन, काया के सर्व रोगों का क्षय हो, क्षय हो, क्षय हो कहकर माला गिनना। सामायिक करने के पूर्व सीमंधर स्वामी प्रभु को बारह खमासमणा अरिहंत प्रभु के बारह गुणों को याद करते देना चाहिए। पश्चात् तीन बार स्थापनाजी को सरस्वती माता के मंत्र द्वारा प्रदक्षिणा देना चाहिए। ॐ ह्रीं ऐं श्री सरस्वत्यै नमः अरिहंत के 12 गुण अशोक वृक्ष, सुरपुष्प वृष्टि, दिव्य ध्वनि, चामर, आसन भामंडल, दुंदुभी, छत्र, प्रतिहार्यो वड़े शोभे अरिहंत ... पूजा, वचना, ज्ञानातिराय अपायापगमा अतिशय चार ज्ञानी भगवंतों नी वाणी, अरिहंतों ना मूल गुण छे बार ..... 'श्रद्धांध' ७०७७०७000000000002650090050505050505050605060
SR No.007276
Book TitleShrut Bhini Ankho Me Bijli Chamke
Original Sutra AuthorN/A
AuthorVijay Doshi
PublisherVijay Doshi
Publication Year2017
Total Pages487
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size38 MB
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