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©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©GOGOGOG 14. रसनेन्द्रि की लोलुपता का सर्वथा त्याग । 15. घ्राणेन्द्रिय के भोग का त्याग। 16. आंख-इन्द्रिय के भोग का त्याग । 17. ज्ञानेन्द्रिय के भोग से दूर। 18. लोभ दशा का निग्रह (लोभ)। 19. चित्त की निर्मलता (माया)। 20. वस्त्रादिक प्रतिलेखना (मान)। 21. अष्ट प्रवचन माता का पालन । 22. क्षमा को धारण करना (क्रोध)। 23. अकुशल मन का त्याग। 24. अकुशल वचन का त्याग । 25. अकुशल काया का त्याग। 26. परिषह - उपसर्ग आदि सहन करना। 27. मरणांत - उपसर्ग भी सहन करना।
___ संवर 57 हेतु द्वारा 3. गप्ति, 5 समिति, 22 परिषह, 10 यति धर्म, 12 भावना, 5 चारित्र * 3 गुप्ति - (1) काय गुप्ति :- काया के व्यापार को कार्योत्सर्ग से रोको (निवृत्ति भाव से
अष्ट प्रकारी पूजा में प्रवृत्ति करना) 2. वचन गुप्ति :- मौन रखना, निवृत्ति । शास्त्रोक्त विधि अनुसार स्वाध्याय, चर्चा सत्संग के कार्य (प्रवृत्ति)। 3. मन गुप्ति :- क्रोध आया और रोका (निवृत्ति) । सामायिक लेकर मन को धर्म में लगाया (प्रवृत्ति)।
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