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®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©®©GOG * जीव को शांति उत्पन्न करने वाले, जीव को अशांति उत्पन्न करने वाले परिषहों की गुण
स्थानकों में विचारणा की (तत्वार्थ)। 12वें गुण स्थानक तक - 14 परिषह संभव हैं। 13वेंगुणस्थानक तक - 11 परिषह संभव है। 9वें गुणस्थानक तक - 22 परिषह संभव है। परिषह 22 : सयोगी केवली को 11 परिषह संभव है । विहार में प्रतिकूलता सहन करे, क्षुधा, पिपासा, शीत, उष्ण, दंशमंशक, चर्या (विहार), शय्या, वध, रोग, तृण स्पर्श, मल, निमित रुप, पर द्रव्य की उपस्थिति होने का अहसास कराने ही ऐसा कहा है। जिनेश्वर अनंत पुरुषार्थ मय होने से परिषह दुःखमय नहीं होते।
संयम 27 भेद 1. जीव हिंसा का सर्वथा त्याग। 2. असत्य का सर्वथा त्याग। 3. चोरी का सर्वथा त्याग। 4. मैथुन का सर्वथा त्याग। 5. परिग्रह मात्र का त्याग। 6. रात्रि भोजन तथा रात को पानी पीने का सर्वथा त्याग । 7. पृथ्वीकाय जीवों की रक्षा। 8. अपकाय जीवों की रक्षा। 9. अग्निकाय जीवों की रक्षा। 10. वायुकाय जीवों की रक्षा। 11. वनस्पति के स्पर्श का त्याग । 12. त्रसकाय जीवों की रक्षा। 13. स्पर्शेन्द्रिय के भोग से दर
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