________________
भगवती सूत्र : आगम का पांचवा अंग
41 विभाग हैं, जिनको 'शतक' कहा जाता है ।
शतक के अन्तर्गत विभाग को 'उद्देशक' कहा जाता है ।
इस अंग में 100 अध्ययन हैं, 10,000 उद्देशक हैं, 36000 व्याकरण के प्रश्न हैं और 2 लाख 88 हजार पद हैं ।
G
भगवती सूत्र में केवलज्ञानी ने गणधर द्वारा पूछे गए प्रश्नों का समावेश किया है। मुख्य प्रश्नकार : इन्द्रभूति (गौतम स्वामी), अग्निभूति, वायुभूति, मंडितपुत्र, माकंदी पुत्र, रोहक, जयंती श्राविका, उसी प्रकार अन्य तीर्थिको अर्थात् अन्य सम्प्रदायिक भी थे ।
प्रमुखता से तो इस सूत्र में गौतम एवं भगवान महावीर के प्रश्न-उत्तर हैं ।
भगवती सूत्र का पारायण पर्युषण के दिनों के अतिरिक्त होता है ।
भगवती सूत्र में गणितानुयोग की प्रधानता है, फिर भी द्रव्यानुयोग, चरितानुयोग और कथानुयोग भी पूर्ण रूप से देखने को मिलता है ।
* भगवान महावीर ने गौतमस्वामी के पूछे प्रश्न के उत्तर में बताया कि लोकस्थिति (संसार - मर्यादा) आठ प्रकार की होती है (शतक - 1, उद्देश्य - 6 )
* वायु आकाश के आधार पर रही हुई ।
* उदधि (समुद्र) वायु के आधार पर रहा हुआ है ।
* पृथ्वी समुद्र के आधार पर रही हुई है ।
* जीव ( त्रस - स्थावर) पृथ्वी के आधार पर रहे हुए हैं ।
*
अजीव (जड़ पदार्थ) जीव के आधार पर रहे हुए हैं ।
अजीव को जीवों ने और जीवों ने कर्मों को संग्रहित कर रखा है ।
* आकाश सभी वस्तुओं का आधार होने से आधार बिना का है । आकाश के जीव ‘खर' भाग के उपर तिरछा लोक में रहते हैं ।
376